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घर-घर तक जल पहुंचाने का लक्ष्य, मोदी कल रखेंगे मणिपुर जलापूर्ति परियोजना की आधारशिला

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मणिपुर जलापूर्ति परियोजना की आधारशिला रखेंगे। इस परियोजना के तहत मणिपुर के 16 जिलों के 2,80,756 परिवारों के घर तक जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से बुधवार को जारी किए गए एक बयान के मुताबिक मणिपुर की राज्यपाल नज्मा हेपतुल्ला एवं मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के अलावा उनके राज्य सरकार के मंत्री, सांसदों और विधायकों के भी इम्फाल से इस कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है।

बाह्य स्रोतों से वित्त पोषित मणिपुर जलापूर्ति परियोजना कुछ इस तरह से तैयार की गई है जिससे कि ग्रेटर इम्फाल योजना क्षेत्र, 25 कस्बों और 1731 ग्रामीण बस्तियों के शेष बचे परिवारों को ताजा जल के घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) मुहैया कराए जा सकें। बयान में कहा गया, इस तरह से यह परियोजना मणिपुर के 16 जिलों के 2,80,756 परिवारों को कवर कर लेगी। भारत में लगभग 19 करोड़ परिवार हैं। इनमें से केवल 24 फीसद के पास ही एफएचटीसी हैं। मिशन का उद्देश्य राज्य सरकारों, पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय समुदायों सहित सभी हितधारकों की साझेदारी के जरिए 14,33, 21,049 परिवारों को एफएचटीसी मुहैया कराना है।

केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत धनराशि उपलब्ध कराई

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि मणिपुर जलापूर्ति परियोजना वर्ष 2024 तक हर घर जल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार के ठोस प्रयासों का एक महत्वपूर्ण घटक है। परियोजना का परिव्यय न्यू डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्त पोषित ऋण घटक के साथ लगभग 3054.58 करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार ने 1,42,749 परिवारों वाली 1185 बस्तियों को कवर करने के उद्देश्य से एफएचटीसी के लिए मणिपुर को जल जीवन मिशन के तहत धनराशि उपलब्ध कराई है। मणिपुर सरकार ने पूर्वाेत्तर क्षेत्र विकास विभाग से प्राप्त धनराशि सहित वित्त पोषण के अतिरिक्त स्रोतों के जरिए शेष परिवारों को कवर करने की योजना बनाई है।

भारत सरकार ने हर घर जल के मूल मंत्र के साथ वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित और पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत अनिवार्य घटक के रूप में जल स्रोतों का स्थायित्व सुनिश्चित करने संबंधी उपायों को भी लागू किया जाता है जिनमें धूसर जल के प्रबंधन के जरिए पुनर्भरण एवं पुन: उपयोग, जल संरक्षण, वर्षा जल का संचयन, इत्यादि शामिल हैं।

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