लोकसंगीत की मिट्टी से जुड़ी धुनों को आधुनिक सुरों से जोड़ता है
लखनऊ। कोक स्टूडियो भारत ने अपने सीजन 3 का नया गीत मीठा खारा रिलीज किया है। नवरात्रि के उत्सव के साथ पेश किया गया यह गीत गुजरात की लोक-धरोहर को नई आवाज देता है। इस गाने को सिद्धार्थ अमित भावसार ने क्यूरेट और कम्पोज किया है, और इसमें लोकगायक आदित्य गढ़वी, मधुबंती बागची की सुरीली आवाज और युवा कलाकार थानू खान की ताजगी शामिल है। कोक स्टूडियो भारत के लिए खास तौर पर तैयार किया गया मीठा खारा लोकसंगीत की मिट्टी से जुड़ी धुनों को आधुनिक सुरों से जोड़ता है। यह गीत खलासी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एक बार फिर गुजरात की सांस्कृतिक जड़ों को उजागर करता है।
600 साल पुरानी अग्रिया कम्युनिटी की विरासत से जुड़ा मीठा खारा उनके जीवन के गहरे विरोधाभास को सामने लाता है। गुजरात में मीठू यानी नमक—एक ऐसी चीज जो आवश्यक भी है और कठिन परिश्रम से भी जुड़ी है। अग्रिया समुदाय के लिए नमक सिर्फ़ रोजगार नहीं, बल्कि धैर्य और गर्व से जुड़ी उनकी धरोहर है। यह गीत दिखाता है कि किस तरह हर पीढ़ी इस मीठे-खारे सफर को अपनाती है—जहां कठोरता ही उनकी सबसे बड़ी मिठास बन जाती है। यही है मीठा खारा—हौसले और पहचान का गीत, जो नमक की तरह समय के साथ कायम रहता है। संगीतकार और निमार्ता सिद्धार्थ अमित भावसार ने बताया कि मीठा खारा की जड़ें लोकसंगीत से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, गीत की रचना बेहद सरल धुनों से शुरू हुई और कहानी ने हर चरण में संगीत की दिशा तय की। लय और वाद्ययंत्रों को परत-दर-परत जोड़ा गया, ताकि हर ध्वनि श्रोताओं को परंपरा से जोड़ते हुए आज के समय में भी जीवंत और प्रामाणिक महसूस हो।
गीतकार भार्गव पुरोहित ने कहा, मीठा खारा लिखना मेरे लिए सम्मान की बात थी, क्योंकि इससे अग्रिया समुदाय के अनुभवों को शब्द देने का अवसर मिला। इस कहानी में गर्व, संघर्ष और परंपरा की कई परतें हैं और मैंने कोशिश की है कि गीत के बोल उस सच्चाई को सादगी और ईमानदारी के साथ दशार्एं। यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मेरे लिखे शब्द कोक स्टूडियो भारत के जरिए संगीत में ढलकर जीवंत हो उठे।
लोकगायक आदित्य गढ़वी ने कहा, कोक स्टूडियो भारत के साथ दोबारा जुड़ना मेरे लिए बेहद खास अनुभव है। मीठा खारा के जरिए हम खलासी से शुरू हुई यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं और गुजरात की लोककथाओं को नए अंदाज में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह गीत बनाना मेरे लिए खुशी का अनुभव था, क्योंकि इसमें सचमुच हमारी संस्कृति की आत्मा और हमारे लोगों का गर्व झलकता है।
गायिका मधुबंती बागची ने कहा, मीठा खारा मेरे लिए अपनी कला को उसके सच्चे रूप में अभिव्यक्त करने का अवसर था। एक कलाकार के रूप में मुझे हमेशा ऐसे मंच की तलाश रहती है, जहां तकनीक और भावनाओं, परंपरा और व्यक्तित्व को साथ लेकर आगे बढ़ सकूं। कोक स्टूडियो भारत ने मुझे यह अवसर दिया, जहां मैं अपनी आवाज, अपने अनुभव और अपनी अभिव्यक्ति को पूरी तरह से गीत में उतार सकी।
युवा कलाकार थानू खान ने कहा, कोक स्टूडियो भारत का हिस्सा बनना मेरा सपना रहा है। मीठा खारा में अपनी धुनों के जरिए गीत के सार को जोड़ पाना मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात है, जो हमेशा मेरे साथ रहेगा।