संजय धीमान लखनऊ। राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली (आरसीसीएमएस) पर नामांतरण के अंतर्गत एक अगस्त तक सूबे की सभी तहसीलों में दर्ज कुल 83,07,107 वादों के सापेक्ष 76,20,764 वादों का निस्तारण (91 प्रतिशत) किया गया है तथा 6,86,343 वाद निस्तारण के लिए लम्बित हैं। इन लम्बित 6,86,343 वादों में 4,38,277 वाद 3 माह से अधिक अवधि के हैं।
उल्लेखनीय है कि यूपी राजस्व संहिता, 2006 की धारा-34 (नामांतरण) के अंतर्गत प्रदेश की तहसीलों में दर्ज होने वाले वादों के निस्तारण के लिए राजस्व संहिता नियमावली, 2016 के नियम-34 (7) के अंतर्गत यह व्यवस्था दी गयी है कि तहसीलदार नामांतरण के अविवादित प्रकरण को उसके दर्ज किये जाने की तारीख से पैंतालीस दिनों की अवधि के अन्दर और नामांतरण के विवादित प्रकरण को नब्बे दिनों के अवधि के अन्दर तय करने का प्रयास करेगा और यदि कार्यवाही ऐसी अवधि के अन्तर्गत समाप्त नहीं होती है तो उसके लिए कारण अभिलिखित किया जायेगा। इस व्यवस्था के अंतर्गत दाखिल खारिज वादों का योजित किया जाना तथा उनका निस्तारण किया जाना एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें पक्षों द्वारा आपत्ति, साक्ष्य आदि प्रस्तुत किये जाने के कारण समयावधि के उपरान्त उक्त वाद लंबित हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं सदन के दौरान विधानसभा के एक सदस्य के सवाल पर जवाब दिया।
उन्होंने बताया कि राजस्व न्यायालयों में लम्बित वादों के त्वरित निस्तारण के लिए सभी मंडलायुक्त, सभी जिलाधिकारी को विस्तृत निर्देश जारी किये गये हैं। उक्त निर्देशो में सभी राजस्व न्यायालय क्रियाशील रहने, तहसीलदार (न्यायिक) के पद रिक्त होने की स्थिति में नायब तहसीलदार को तैनात किये जाने, धारा-34 के निर्विवादित वादों का समय-सीमा के अंदर निस्तारण किये जाने तथा कुल पंजीकृत राजस्व वादों के वितरण की व्यवस्था राजस्व प्रशासनिक अधिकारियों एवं राजस्व न्यायिक अधिकारियों के मध्य 30:70 में किये जाने के निर्देश भी जारी किये गये हैं।
अभी तक किसी भी विषय पर जानकारी लेने के लिए आम नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे, नागरिकों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। नतीजतन, किसी को भी समय पर जानकारी नहीं मिल पाती थी और जनता असहज महसूस करती थी। आम नागरिकों को कई तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। जनता की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए एक नई वेबसाइट लॉन्च की। जिसका नाम राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली है। अब इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यक्ति घर बैठे आॅनलाइन राजस्व न्यायालय की सेवाओं और सुविधाओं को अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर से एक्सेस कर सकता है। राज्य सरकार ने इस पोर्टल के अंतर्गत तहसीलदार न्यायालय से लेकर राजस्व परिषद तक 2774 राजस्व न्यायालयों को शामिल किया है।