देश के उच्च न्यायालयों में 71,204 मामले 30 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं जबकि जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में यह संख्या।,01,837 है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को यह जानकारी दी। लोकसभा में मनोज तिवारी, राहुल कस्वां, गुमान सिंह दामोर, संघमित्रा मौर्य, अरविंद सावंत, राजेश नारणभाई चुडासमा, ओम पवन राजेनिंबालकर, डा. निशिकांत दुबे, विनायक राउत, संजय जाधव, एस ज्ञानतिरावियम और लाबू श्रीकृष्णा के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी दी। सदस्यों ने विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी।
विधि एवं न्याय मंत्री मेघवाल ने राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि उच्च न्यायालयों में 71,204 मामले 30 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं जबकि 2,17,010 मामले 20 से 30 वर्षों से लंबित हैं। ।,11,847 मामले 15 वर्ष से लंबित हैं और।,83,146 मामले 10 वर्ष से लंबित हैं। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़ों के अनुसार, जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में।,01,837 मामले 30 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं जबकि 5,20,588 मामले 20 से 30 वर्षों से लंबित हैं। 3,09,792 मामले 15 वर्ष से और 8,73,587 मामले 10 वर्ष से लंबित हैं।
मंत्री ने 20 जुलाई को संसद के उच्च सदन को बताया था कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गए हैं। मेघवाल ने कहा था कि विभिन्न अदालतों – उच्चतम न्यायालय, 25 उच्च न्यायालय और अधीनस्थ अदालतों में 5.02 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। मेघवाल ने बताया कि न्यायालयों मे लंबित मामलों का निपटारा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र का विषय है और अदालतों में मुकदमों के निपटारे में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है।