विशेष संवाददाता लखनऊ। योगी सरकार दो चरणों में खरीफ फसलों का ई-पड़ताल कराने जा रही है। यह अभियान 10 अगस्त से 25 सिंतबर तक चलाया जाएगा। सर्वे पहले चरण में 21 और दूसरे चरण में 54 जिलों में चलेगा। इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए पहले ही राज्य, जिला व तहसील समेत कुल चार स्तरीय समितियों का गठन हो चुका है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है।
खरीफ फसलों का ई-पड़ताल को प्रदेश में महज एक फसलों का डाटा एकत्रित करने वाले सर्वे के तौर पर नहीं बल्कि छह सूत्रीय लाभ का जरिया मानकर क्रियान्वित करने की रूपरेखा रखी गई है। दरअसल, इसके जरिए एकत्रित डाटा के आधार पर किसान बैंकों से केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) योजना के तहत अनुदान प्राप्त कर सकेंगे।
वहीं, फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) निर्धारण का भी यह एक सशक्त जरिया बन सकेगा। इसके अतिरिक्त, सॉइल हेल्थकार्ड योजना के जरिए ई-पड़ताल से जुटाए गए आंकड़े कृषि योग्य भूमि के मृदा निरीक्षण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण योगदान निभाएंगे। इससे किसानों को अपनी भूमि की उर्वरता के आधार पर फसलों की बोआई का उचित विकल्प मिल सकेगा।
वहीं, कृषि भूमि पर फसलों के समुचित क्रॉप एरिया के निर्धारण और किसानों को फसलों संबंधी कस्टमाइज्ड एडवायजरी जारी करने के लिहाज से भी ई-पड़ताल सर्वे प्रमुख भूमिका निभाएगा। सर्वे में प्रदेश के 75 जिलों के 350 तहसीलों के तहत आने वाले 31002 लेखपाल अधीन क्षेत्रों के 35983 ई-पड़ताल क्लस्टर्स के आंकड़ों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।