पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने किया योग के दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का शुभांरभ
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में प्राप्त निर्देश के क्रम में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा ज्ञान और अनुभव का संगम योग” शीर्षक पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया है जिसका शुभारंभ शास्त्रीय नृत्य विधा में पारंगत भरतनाट्यम एवं ओड़ीसी नृत्य शैली की गुरू पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने वर्चुअल रूप से किया। दो दिवसीय वेबिनार 17 एवं 18 जून को चार सत्रों में आयोजित किया गया है। वेबिनार में देश एवं विदेश के ख्याति प्राप्त योग साधक कलाकार एवं धर्मगुरु योग पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।
17 जून को वेबिनार के प्रथम दिवस के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने वर्चुअल रूप से ज्ञान और अनुभव का संगम योग’ शीर्षक वेबीनार का शुभारंभ किया। शुभारंभ में सर्वप्रथम भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह का स्वागत अभिनन्दन कर इस वेबीनार से जुडने के लिए आभार प्रकट किया तत्पश्चात विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुचि खरे ने डॉ. सोनल मानसिंह का संक्षिप्त परिचय सभी के समक्ष रखा जिसके बाद पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने वर्चुअल रूप से ज्ञान और अनुभव का संगम योग शीर्षक अपना प्रेरणादायी व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान मे उन्होंने नृत्य और योग के प्रगाढ़ संबंधों का वर्णन किया उन्होंने बताया गीता में श्री कृष्ण कहते हैं योग कर्मसु कौशलम इसका अर्थ है, कर्म में कुशलता ही योग है। उन्होंने कहा योग के लिए गुरु का होना अति आवश्यक है। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान अहमदाबाद में हुई जहाज दुर्घटना मे दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने योग की अनेक मुद्राओं के वर्णन के साथ बताया कि योग ऐसी साधन है जो आपको उत्कृष्टम शिखर पर ले जाती है और ये जब सेवा के लिए हो तो ‘सेवा योग’ कहलाता है और कला के द्वारा आनंद की उपलब्धि करना ही योग है। उन्होंने अपने जीवन के निजी अनुभवों को साझा करते हुए बताया की दर्शन कारी कलाओं मे नृत्य में ही योग है इसीलिए भगवान शिव को नटराज की उपाधि दी गई है उन्होंने यह भी बताया कि जिस प्रकार मेहंदी को जितना घिसा जाए उसका रंग उतना ही गाढ़ा होता है उसी प्रकार शरीर मे योग का महत्व है। डॉ सोनल मानसिंह ने अंत मे विश्वविद्यालय द्वारा आमंत्रित किए जाने पर कुलपति प्रो मांडवी सिंह का आभार प्रकट किया। वेबीनार के प्रथम सत्र में विषय विशेषज्ञ के क्रम में डॉ. कामता प्रसाद साहू विभागाध्यक्ष मानव चेतना एवं योग विज्ञान, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार से वर्चुअल रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि आज की जीवन शैली जीवन की जटिलता बन गई है इन्होंने पाचन प्रक्रिया की बृहद व्याख्या योग के माध्यम से की। 17 जून प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र में पद्मश्री रंजना गौहर ओड़िसी नृत्यांगना-दिल्ली अपने व्याख्यान में लॉर्ड शिव के रूप में योग की व्याख्या की और नृत्य की विधा के साथ योग के संबंध की स्थापना की बात कही। पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य, सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष-ललित कला एवं संगीत विभाग गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर ने अपने व्याख्यान में आहत से अनहत नाद तक के विराट स्वरूप की व्याख्या की। डॉ. प्रेम दवे, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, ने अपने व्याख्यान में गायन एवं नृत्य में स्वास के नियंत्रण की बात की उन्होंने कहा राग को गाने के पहले राग के ध्यान की व्याख्या की। डॉ. केवल नायक विभागाध्यक्ष स्कूल आॅफ इन्डोलाजकल स्टडीज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट, मॉरिशस ने बताया की हम लोग योग दिवस के अवसर पर एक बड़ा आयोजन कर रहे जिसका चित्र उन्होंने प्रदर्शित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय से अग्रिम कार्य में जुड़ने की भी बात कही भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया एवं बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार विशेष और महत्वपूर्ण है। भारतीय संस्कृति एवं कला को समर्पित विशेष प्रकृति के विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित योग के संदर्भ में संगीत कला आदि योगाचार्यों का चिंतन एक नये आयाम के साथ संभावनाओं को विकसित करेगा। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ की कुलसचिव की डॉ. सृष्टि धवन ने बताया इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार से विश्वविद्यालय के समस्त छात्र-छात्राओं शिक्षकों अधिकारियों एवं कर्मचारियों को जोड़ा जाएगा जिससे अधिक से अधिक लोग विभिन्न विधाओं में पारंगत महान व्यक्तित्वों का योग पर आधारित व्याख्यान को सुन सकें और उससे जीवन में योग एवं आध्यात्म के सकारात्मक प्रभाव को आत्मसात कर सकें।