महिमा तिवारी लखनऊ। कोरोना महामारी को बीते हुए भले ही तीन साल से अधिक समय हो गया है लेकिन इसका दंश आज भी कई लोग झेल रहे हैं। फेफड़ें पर इस वायरस ने ऐसा अटैक किया कि आजीवन सांस का रोगी बना दिया।
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के मुताबिक रोजाना ओपीडी में आने वाले 200 मरीजों में 20 से अधिक मरीज ऐसे हैं जिन्हें गम्भीर कोरोना संक्रमण हुआ था। अब कोविड से उबरने के बाद इन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। विभाग के प्रो. अजय कुमार वर्मा बताते हैं कि कोरोना को हराने वाले गंभीर मरीजों में करीब 10 प्रतिशत मरीजों को फेफड़ों में फाइब्रोसिस की परेशानी है। इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के फेफड़े सिकुड़ रहे हैं। इससे उनके शरीर को पर्याप्त आॅक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना है कि जो मरीज कोरोना ग्रसित होने के बाद अधिक समय तक आइसीयू में रहे हैं, उनको सांस लेने में तकलीफ की समस्या ज्यादा हो रही है।
वहीं जिन पर संक्रमण का असर कम दिखा, उनमें भी कई लोगों को खांसी की समस्या भी बनी रहती है। सीढ़ियां चढ़ने पर सांसें फूलती है। वह बताते हैं कि कोविड वाले जिन मरीजों को फेफड़ों में निमोनिया हुआ था। उनके फेफड़े कमजोर हो गए थे। इस समय उनको एलर्जी की समस्या जैसे सांस लेने के साथ दोबारा निमोनिया हो रहा है। ऐसे मरीजों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को मौसम में बदलाव के समय सांस की नली में सूजन और खांसी के चलते काफी दर्द होता है। इसका असर फेफड़ों पर पड़ता है।
वह बताते हैं कि इसका सबसे ज्यादा बुरा असर बुजुर्ग लोगों पर पड़ा है। इस कारण ऐसी उम्र के लोगों में फेफड़े सम्बन्धी दिक्कतों के चलते मौत की आंकड़ा भी बढ़ा है। इस उम्र में सीवियर निमोनिया से ग्रसित हो रहे हैं। इसके अलावा फंगल इनफेक्शन, लंग्स डिसीज, पल्मोनरी कार्डिक और ब्रोंकाइटिस के शिकार हुए हैं। इस वजह से लोगों में टीबी (ट्यूबर क्लोरसिस) के लक्षण भी देखने को मिले हैं। उस दौरान जो इस प्रकार की बीमारी से ठीक भी हो गये, वह भी सामान्य जीवन नहीं जी पा रहे हैं। जरा सा काम करने पर उनकी सांस फूलने लगती है।
फेफड़े को स्वस्थ रखने के लिए करें प्राणायाम: डा. अजय वर्मा
डा. अजय वर्मा की सलाह है कि फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए प्राणायाम करना चाहिए। वह बताते हैं कि शरीर में आॅक्सीजन का स्रोत फेफड़ा होता है जिसमें कई चैंबर होते हैं, लेकिन फेफड़ा या कोई अन्य अंग तभी मजबूत होगा जब वह गतिशील रहे। प्राणायाम और योगाभ्यास अंगों को गतिशील बनाकर उसे मजबूत करते हैं। प्राणायाम हमारे डायफ्राम को फैला देते हैं जिससे हम अधिक मात्रा में आॅक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचाते हैं। इससे फेफड़े के कम सक्रिय चैंबर भी खुल जाते हैं।