नृत्य नाटिका द्रोपदी की दास्तान का मंचन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के सहयोग से उमंग फाउंडेशन द्वारा न्यू एज मोंटसरी स्कूल रकाबगंज में नृत्य नाटिका द्रोपदी की दास्तान मंचित हुआ। इस नृत्य नाटिका के माध्यम से यह बताया गया कि जब-जब स्त्री पर अत्याचार हुआ है तब तब महायुद्ध हुआ । हमारा समाज एक ओर प्रगति की दिशा में अग्रसर हो रहा है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की घटनाएँ चिंता का विषय बनी हुई हैं। यह अत्याचार केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी हो रहे हैं।
महिलाओं के प्रति असमानता, दहेज, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, बाल विवाह, और कार्यस्थल पर भेदभाव जैसी समस्याएँ आज भी समाज में गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं। यह स्थिति न केवल हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है, बल्कि सामाजिक संतुलन और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन भी है।इस नृत्य नाटिका का निर्देशन राहुल शर्मा द्वारा किया गया । इस नृत्य नाटिका के शुरूआत में द्रोपदी का जन्म कैसे हुआ फिर किस प्रकार से वह पांडवों की पत्नी हुई। उसके बाद शकुनी जो कि अपने बहन गांधारी का प्रतिशोध लेना चाहता था कैसे उसने पांडवों और कौरवों के बीच में प्रपंच रचा और उनको चौसर खेलने के लिए आमंत्रित किया और फिर उसने छलपूर्वक खेल जीतकर द्रोपती का बाल पड़कर भरी सभा में लाया गया अंत में द्रोपदी ने कृष्ण से सहायता मांगी उसके बाद द्रौपदी ने कसम लिया कि जब तक वह दुशासन की लहू से अपने बालों को नहीं धूलेगी तब तक वह अपने बालों को बंधेगी नहीं। इसमें मुख्य भूमिका में थी सौम्या प्रकाश, योगिता त्रिपाठी, छवि श्रीवास्तव, कंचन शर्मा, आद्या मिश्रा, नेहा शर्मा, एवं संगीत संचालन एवं परिकल्पना शुभम सिंह चौहान का रहा । संस्था समय-समय पर संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजन करती रहती है।