लखनऊ। दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर अब पुराने लखन में भी महिलाओं और बच्चों ने संशोधित नागरिकता कानून सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी एनआरसी को वापस लेने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हाथों में सीएए और एनआरसी वापस लेने संबंधी नारे लिखे बैनर और तख्तियां लिए करीब 50 महिलाओं और बच्चों ने शनिवार शाम से पुराने लखनऊ के स्थित घंटाघर प्रांगण में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो अभी जारी है।
इस प्रदर्शन की जानकारी मिलने पर पुलिस आयुक्त सुजीत पांडे अपने मातहत अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और महिलाओं को समझने का प्रयास किया लेकिन महिलाओं ने मांग पूरी न होने तक अपना प्रदर्शन समाप्त करने से मना कर दिया। प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनके इस कार्यक्रम में व्यवधान डालने के लिए रात में घंटाघर की बिजली काट दी गई और जबरदस्त ठंड से बचाव के लिए उन्हें तंबू भी नहीं लगाने दिया गया।
बहरहाल इन मुश्किलों के बावजूद महिलाएं और बच्चे वहीं पर बैठे रहे और उनका प्रदर्शन सुबह भी जारी रहा। प्रदर्शन में शामिल युवती वरीशा सलीम ने कहा कि यह प्रदर्शन दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन की तर्ज पर ही है और जब तक एनआरसी और सीएए को वापस नहीं लिया जाता तब तक यह जारी रहेगा। प्रदर्शन कर रही महिलाओं का समर्थन करने पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर ने ेभाषो से बातचीत में कहा कि सीएए एक असंवैधानिक क़ानून है और यह देश की आत्मा के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि राजधानी लखन में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर पुलिस ने इन महिलाओं के बच्चों को सड़कों पर मारा, घरों में घुसकर तोडफ़ोड़ की और संगीन धाराएं लगाकर हिरासत में जुल्म किया। से में महिलाओं ने कहा है कि अब वह देखेंगी कि पुलिस उनका दमन करने के लिए क्या तरीके अपनाती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों को हिंसक बना कर जिस तरह से इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की उसके मद्देनजर महिलाएं यह बताना चाहती हैं कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि हिंदुस्तानियत के खिलाफ है। सदफ ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश की सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता देने के बारे में सोच भी कैसे सकती है।