लखनऊ के 7 देवी मंदिरों में दर्शन करने से पूरी होती है मुराद

लखनऊ। चैत्र नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार 09 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होगी, जिसका समापन 17 अप्रैल रामनवमी के दिन होगा। इस साल माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ भक्तों के बीच आएंगी। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के 9 दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से माता रानी की पूजा करते हैं। ऐसे में अगर आप लखनऊ में हैं तो इन 7 मंदिरों में दर्शन जरूर करना चाहिए।

चंद्रिका देवी मंदिर :
बक्शी का तालाब स्थित चंद्रिका देवी मंदिर एक शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर है। चंद्रिका देवी को लखनऊ की कुलदेवी भी कहा जाता है इसीलिए लखनऊ के लोगों को इनके दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है। यहां के पुजारी राम आसरे वाजपेई बताते हैं कि पहले यहां पर नीम का खोखला पेड़ था उसी खोखले पेड़ से यहां पर देवी मां प्रकट हुई हैं। यह मंदिर चौक चौराहे के बेहद करीब स्थित है। यहां पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थित है लेकिन उन्हें काली के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर औरंगजेब के वक्त का है। नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है जो कि लखनऊ का सबसे बड़ा मेला होता है। नवरात्रि में यहां दर्शन करने के लिए न सिर्फ लखनऊ बल्कि उत्तर प्रदेश के अलग जिलों से भी भक्त आते हैं।

संकटा देवी मंदिर :


रानी कटरा में ही संकटा माई मंदिर हैं। चौपटियां के रानी कटरा में स्थित संकटा देवी मां का यह मंदिर लखनऊ में सबसे अनूठा है। यह कश्मीर में विराजमान माता खीर भवानी की प्रतिमा का स्वरूप है, जो कई कश्मीरियों की कुलदेवी भी हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि में इनके दर्शन करने थे संकट दूर हो जाते हैं।

बंदी मां का मंदिर :
बंदी मां का मंदिर कटरा में स्थित है। इन्हें कटरा की रानी भी कहा जाता है। यह मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है। नवरात्रि में इनके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और साड़ी समेत श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं।

संदोहन मां मंदिर:


यह मंदिर भी छोटी काशी चौपटिया चौराहे के करीब स्थित है। इस मंदिर को 500 साल पुराना शक्तिपीठ और सिद्धपीठ भी माना जाता है। यहां पर शादी के बाद नए जोड़े अक्सर पूजा पाठ करते हुए नजर आ जाते हैं। यहां पर मुंडन भी होता है। नवरात्रि में इस मंदिर का भी खास महत्व है यह मंदिर टिकैतगंज कदीम के सिरे पर मेहंदी गंज नामक मोहल्ले में स्थित है।

शीतला माता मंदिर :
शीतला मां के मंदिर को रामायण काल का बताया जाता है। इस मंदिर की स्थापना जानकी नंदन लव द्वारा की गई थी। नवरात्रि में इस मंदिर में दर्शन करने वालों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। इन दिनों यहां मेला भी चल रहा है।

भुईयन देवी मंदिर :
यह मंदिर गणेशगंज में स्थित है। इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर पर जब जब पर्दा लगाया गया तब-तब पर्दे में या तो आग लग गई या पर्दा अपने आप ही गिर गया, जिसके बाद से इस मंदिर में माता के सामने कभी भी पर्दा नहीं लगा गया। इस मंदिर में देवी का मुख पूर्व दिशा की ओर है। इस मंदिर की खासियत यह भी है कि भुईयन देवी मां के ठीक दाहिने हाथ पर बगल में संकटा माई भी मौजूद हैं। नवरात्रि में इनकी पूजा और कीर्तन के लिए प्रदेश भर से भक्त आते हैं।

श्री ज्वाला देवी मंदिर :
नवरात्रि में ज्वाला देवी के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको हिमाचल प्रदेश जाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि ज्वाला देवी के दर्शन आपको उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आशियाना आलमबाग स्थित मां श्री ज्वाला देवी मंदिर में हो जाएंगे। यहां 2004 से एक अखंड ज्योत जल रही है। जो ज्वाला देवी से लाई गई थी।

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