शाम को व्रती महिलाओं ने नदी-घाटों व घरों में स्नान किया
लखनऊ। संतान की मंगलकामना व दीघार्यु को लेकर रविवार को महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। इस अवसर पर व्रती महिलाओं ने भोर में चूल्हो, सियारिन व पितर-पितराइन को अपने कुल की परंपरा के अनुसार नैवेद्य अर्पित किया। इसके बाद मीठा भोजन के तौर पर दही-चिउरा आदि ग्रहण कर सरगही की विधि पूर्ण की।
इसी के साथ 24 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। शाम को व्रती महिलाओं ने नदी-घाटों व घरों में स्नान किया। शहर के घाटों व घरों में बने तालाब में स्नान करने के लिए महिलाएं पहुंची। महिलाओं ने स्नान के बाद अपनी.अपनी पितराइनों व जीवितवाहन भगवान को बेलपत्र व तेल अर्पण किया। इसके बाद घाटों की पूजा की। इसमें मिट्टी तथा गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है, जिसके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। जीवितवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, अक्षत पुष्प आदि अर्पित कर विधिवत पूजा.अर्चना की गई। पंडितों से जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनने के बाद जीवितवाहन भगवान की प्रतिमा की बनी माला को गले में धारण किया और संतान की सलामती की दुआ मांगी। कई महिलाओं ने तो संतान की संख्या के आधार पर जीवितवाहन भगवान की प्रतिमा को धागे में पिरोकर धारण किया। एक दूसरे को सिन्दूर लगाकर सुहाग की सलामती की कामना भी की। शाम को खरजिउतिया करने वाली व्रतियों ने तारा देखकर अन्न.जल ग्रहण किया। शनिवार को जिउतिया रखने वाली महिलाएं पारण करेंगी। बैरिया की गीता देवी, ब्रह्मपुरा की संगीता देवी ने बताया कि संतान के लिए जिउतिया सबसे उत्तम पर्व है। इससे उनपर आने वाली विपत्ति दूर होती है।
पारण कर आज जिउतिया व्रत का समापन करेंगी व्रती:
सोमवार की सुबह व्रती पारण कर जिउतिया व्रत का समापन करेंगी। इधर पर्व को लेकर खरीदारी के लिए बाजार में विशेष भीड़ भी दिखीं। फल मंडी से लेकर सब्जी बाजार में जबर्दस्त भीड़ रही। राजधानी में जीवित्पुत्रिका व्रत में पूजन सामग्री की खरीदारी को लेकर बाजारों में भारी भीड़ देखी गई। राजधानी मुख्य बाजार में भीड़ रही। शहर के फलों व सब्जी दुकानों में जीउतिया पर्व को लेकर सुबह से ही लोगों की भीड़ दिखीं। लोगों ने बैंगन, कंदा, परवल, गोभी, पटल, आलू प्याज की खरीदारी की। वहीं फल दुकान में भी लोगों की भीड़ रही।
कथा समापन के बाद ब्राह्मणों को किया दान:
पुत्र की लंबी आयु व सुख समृद्धि की कामना को लेकर रविवार को महिलाओं ने जिउतिया व्रत किया। शाम को ब्राह्मणों से राजा जीमूतवाहन की कथा सुनी। कथा समापन उपरांत ब्राह्मणों को क्षमता के अनुसार दान किया।