लखनऊ। जम्मू-कश्मीर काडर के 2010 बैच के आईएएस अफसर राजीव रंजन व इतरित हुसैन की आर्म्स लाइसेंस रैकेट चलाने के मामले में हुई गिरफ्तारी के बाद से देश के सभी राज्यों में सनसनी फैल गयी है।
दोनों अफसर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में तैनात रह चुके हैं। अब केंद्रीय गह मंत्रालय ने सभी राज्यों से शस्त्र लाइसेंसों की रिपोर्ट मांगी है। बताया जा रहा है कि फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने वालों में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश के भी लोग शामिल हैं। इस रैकेटे से यूपी के तार भी जुड़े बताये जा रहे हैं। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों के लोगों के भी फर्जी कागजों पर लाइसेंस बनाये गये हैं।
गौरतलब है कि आर्म्स लाइसेंस रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार दोनों आईएएस अफसर आर्म्स लाइसेंस बनाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर 8 से 10 लाख रुपये लेकर यह धंधा लंबे समय से चला रहे थे। गृह मंत्रालय इसलिए और भी चौंकन्ना हो गया है कि जो लाइसेंस जारी किये गये, वे आॅल इंडिया परमिट वाले हैं। इससे पूरा शक है कि आतंकियों और गैंगस्टरों ने भी लाइसेंस बनवाए होंगे ताकि वे देश में इन्हें कहीं भी ले जाकर इनका इस्तेमाल कर सकें।
सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच को दोनों से प्राथमिक पूछतांछ में पता चला है कि फर्जी कागजात और बिना वेरिफिकेशन किए हजारों आर्म्स लाइसेंस जारी किये गये हैं। वर्ष 2016 से 2017 तक कुपवाड़ा में तैनाती के दौरान राजीव रंजन ने करीब 30,000 आर्म्स लाइसेंस जारी किए। ये लाइसेंस कश्मीरियों को ही नहीं, बल्कि यूपी, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान समेत अन्य राज्यों के लोगों को भी फर्जी कागजात पर कश्मीरी बताकर जारी किये गये थे। अब सीबीआई इस बात का पता लगाने में जुटी है कि ये लाइसेंस किन लोगों को बांटे गए।
होम मिनिस्ट्री की आर्म्स सांख्यिकी रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2017 तक यूपी में 12.77 लाख बनाये गये थे। गृह मंत्रालय इस बात से और चिंतित है कि यूपी में पीएफआई की गतिविधियां बढ़ी हैं और अन्य आतंकियों के भी सक्रिय रहने की रिपोर्टें मिल रही हैं। मंत्रालय को आशंका है कि कहीं इन आतंकियों को भी तो कश्मीर से फर्जी कागजात पर लाइसेंस नहीं मिल गये।