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अफगानिस्तान में सरकार के गठन के बाद ही तालिबान शासन को मान्यता देने पर निर्णय करेंगे: चीन

बीजिंग। चीन ने बुधवार को कहा कि वह अफगानिस्तान में सरकार के गठन के बाद ही देश में तालिबान को राजनयिक मान्यता देने का फैसला करेगा तथा उसे उम्मीद है कि वह सरकार खुली, समावेशी और व्यापक प्रतिनिधित्व वाली होगी। यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में यह पूछे जाने पर कि चीन तालिबान को राजनयिक मान्यता कब देगा, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, अफगानिस्तान के मुद्दे पर चीन की स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है। उन्होंने कहा, यदि हमें किसी सरकार को मान्यता देनी है, तो पहली बात यह है कि हमें तब तक इंतजार करना होगा जब तक कि सरकार का गठन नहीं हो जाता। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि अफगानिस्तान में एक खुला, समावेशी और व्यापक प्रतिनिधित्व वाला शासन होगा। उसके बाद ही हम राजनयिक मान्यता के सवाल पर आएंगे।

 

उन्होंने चीन के इस रुख को भी दोहराया कि अन्य गुटों के परामर्श से एक खुली और समावेशी सरकार बनाने के अलावा तालिबान को किसी भी आतंकवादी ताकतों, विशेष रूप से शिनजियांग प्रांत के उइगर आतंकवादी समूह- ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) को अनुमति नहीं देने का अपना वादा निभाना चाहिए। काबुल में तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद के संवाददाता सम्मेलन के बारे में, जिसमें उसने अफगान सरकार के लिए काम करने वालों को आम माफी और महिलाओं के अधिकारों का इस्लामी कानून के ढांचे के भीतर सम्मान करने की घोषणा की, झाओ ने कहा कि शांति की बहाली इस कट्टरपंथी समूह के लिए सबसे जरूरी काम है।

 

उन्होंने कहा, हमने अफगान तालिबान के बयान पर ध्यान दिया है। हमें उम्मीद है कि वह देश के अन्य गुटों के साथ बातचीत और परामर्श के माध्यम से काम करेगा और एक समावेशी और खुला राजनीतिक ढांचा स्थापित करेगा तथा उदार एवं विवेकपूर्ण घरेलू और विदेश नीति अपनाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि अफगानिस्तान में अन्य देशों के कर्मचारी और संस्थान सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा, साथ ही, हम उम्मीद करते हैं कि अफगान तालिबान ईटीआईएम सहित आतंकवादी ताकतों से मजबूती से लड़ेगा और चीन के लिए हानिकारक आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए किसी भी बल को अफगानिस्तान की धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने की अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से लागू करेगा।

 

अल-कायदा का सहयोगी बताया जाने वाला ईटीआईएम चीन के अस्थिर शिनजियांग प्रांत का एक आतंकवादी समूह है। यह प्रांत की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा है, जहां एक करोड़ से अधिक उइगर मुसलमान रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने 2002 में ईटीआईएम को एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया है। अमेरिका के पूर्व ट्रंप प्रशासन ने शिनजियांग में चीन द्वारा उइगर मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के बीच 2020 में अमेरिका के आतंकवादी संगठनों की सूची से समूह को हटा दिया था। अमेरिका ने शिनजियांग में चीन की सुरक्षा कार्वाई को उइगर मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार करार दिया है।

 

चीन काबुल में तालिबान सरकार को मान्यता के एक पूर्व शर्त के रूप में तालिबान से यह सुनिश्चित करने पर भी जोर दे रहा है कि ईटीआईएम शिनजियांग को लक्षित करने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल न करे। तालिबान के राजनीतिक आयोग के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत के लिए चीन का दौरा किया था। इसने ईटीआईएम को अफगानिस्तान से काम नहीं करने देने का वादा किया था। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान की सैन्य प्रगति के बीच ईटीआईएम से जुड़े सैकड़ों आतंकवादी अफगानिस्तान में जुट रहे हैं।

 

महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने के तालिबान के वादे के बारे में झाओ ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति में बड़े बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा, हम अफगान लोगों की इच्छा और पसंद का सम्मान करते हैं। फिलहाल सबसे जरूरी काम शांति और स्थिरता और व्यवस्था को जल्द से जल्द बहाल करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई हताहत नहीं हो क्योंकि ऐसा होने पर बड़े पैमाने लोग शरणार्थी बनेंगे।

 

 

झाओ ने कहा, अफगान और विदेशी नागरिकों, अफगानिस्तान में राजनयिक मिशनों की सुरक्षा और हितों का सम्मान और गारंटी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन को उम्मीद है कि अफगान तालिबान अन्य गुटों और जातीय समूहों के साथ एकजुटता से काम करेगा और एक राजनीतिक ढांचा स्थापित करेगा जो राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए खुला, समावेशी हो। युद्धग्रस्त अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में चीन की भागीदारी के बारे में उन्होंने कहा, एक मित्र और करीबी पड़ोसी और अफगानिस्तान के मित्र के रूप में, चीन हमेशा अफगान लोगों के प्रति एक दोस्ताना नीति रखता है जो कभी नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा, हम अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण का समर्थन करना जारी रखेंगे और अपनी पूरी क्षमता से अफगानिस्तान को उसके आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद करेंगे।

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