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बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक को मंजूरी
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को लेकर विपक्ष की आशंकाओं को निर्मूल बताते हुए मंगलवार को कहा कि इस विधेयक का मकसद यह बिल्कुल नहीं है कि केंद्र सरकार सहकारी बैंकों पर निगरानी रखना चाहती है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके दायरे में केवल ऐसी ही सहकारी सोसाइटी आयेंगी जो बैंकिंग क्षेत्र में काम रही हैं।
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा, यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि केंद्र सरकार सहकारी बैंकों पर निगरानी रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के समय में कई स्थितियां सामने आ रही हैं। जमाकर्ताओं की सुरक्षा बेहद जरूरी थी। कई सहकारी बैंकों में जमाकर्ता परेशानी का का सामना कर रहे थे। हम नहीं चाहते थे कि पंजाब महाराष्ट्र कोओपरेटिव बैंक (पीएमसी) जैसी स्थिति का सामना करना पड़े।
गौरतलब है कि सहकारी बैंकों की सकल गैर निस्पादित आस्तियां (एनपीए) मार्च 2019 के 7.27 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2020 में 10 प्रतिशत हो गयी तथा वित्त वर्ष 2018-19 में 277 शहरी सहकारी बैंकों को घाटा होने की खबरें आई। सीतारमण ने कहा कि 100 शहरी सहकारी बैंक अपने न्यूनतम पूंजीगत जरूरतों को पूरा करने में असफल रहे जबकि मार्च 2019 में 47 सहकारी बैंकों का निवल मूल्य नकारात्मक रहा।
उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिये अध्यादेश लाया गया था। वित्त मंत्री ने के जवाब के बाद लोकसभा ने बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इसमें जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिये बेहतर प्रबंधन और समुचित नियमन के जरिये सहकारी बैंकों को बैकिंग क्षेत्र में हो रहे बदलावों के अनुरूप बनाने का प्रावधान किया गया है। यह विधेयक इससे संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है।
विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यों से विचार विमर्श किया गया, वित्त मंत्री ने कहा कि जो विषय समवर्ती सूची में होते हैं, उन्हीं पर राज्यों से विमर्श करने की जरूरत होती है लेकिन यह मुद्दा संघ सूची है और इसके लिये राज्यों से चर्चा की जरूरी नहीं है।
सीतारमण ने कहा कि बैंक का नाम रखकर जो सहकारी सोसाइटी काम कर रही हैं, उन पर भी वही नियम लागू होने चाहिए जो वाणिज्यिक बैंकों पर लगते हैं। इससे बेहतर प्रशासन सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के दायरे में केवल ऐसी सहकारी सोसाइटी आयेंगी जो बैंकिंग क्षेत्र में काम रही हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के सहकारिता कानूनों को नहीं छुआ गया है और प्रस्तावित कानून इन बैंकों में वैसा ही नियमन लाना चाहता है, जैसे दूसरे बैंकों पर लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि यह उन सहकारी बैंकों पर लागू होगा जो बैंक, बैंकर और बैंकिंग से संबंधित होंगे।
गौरतलब है कि यह विधेयक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अवश्यकता पड़ने पर सहकारी बैंकों के प्रबंधन में बदलाव करने का अधिकार देता है। इससे सहकारी बैंकों में अपना पैसा जमा करने वाले आम लोगों के हितों की रक्षा होगी। विधेयक में कहा गया है कि आरबीआई को सहकारी बैंकों के नियमित कामकाज पर रोक लगाये बिना उसके प्रबंधन में बदलाव के लिये योजना तैयार करने का अधिकार मिल जायेगा।





