मन में छल कपट हो तो कोई कामना पूर्ण नहीं होती : पं. गोविंद मिश्रा
लखनऊ। यदि धन चला जाए तो फिर आ जायेगा, बीमारी आई तो औषधि से दूर हो जाएगी, लेकिन चरित्र चला गया तो वापस नहीं आयेगा। समाज में जिसका चरित्र उत्तम है उसकी कहीं पराजय नहीं हो सकती है। जब तक घर में स्त्री और बड़ों का सम्मान नहीं होगा तब तक शांति नहीं आएगी। विश्वनाथ मन्दिर के 33वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क सेक्टर-ह्णएह्ण सीतापुर रोड योजना कालोनी में चल रहे शिव पुराण कथा के चौथे दिन बुधवार को कथा व्यास पं. गोविंद मिश्रा ने सती विवाह और मां पार्वती के जन्म का प्रसंग सुनाया।
उन्होंने कहाकि भगवान शिव की अनुमति लिए बिना सती अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ में पहुंच गई। यज्ञ में भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिए जाने से कुपित होकर सती ने यज्ञ कुंड में आहुति देकर शरीर त्याग दिया। इस कथा से ये सीख मिलती है कि कभी भी बिना बुलाए किसी के घर या किसी कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए।
पं. गोविंद मिश्रा ने कहा कि शिव की भक्ति निष्काम भक्ति होती हैं, भक्त की कामना को शिव अवश्य पूरा करते है। लेकिन मन में छल कपट हो तो कोई कामना पूर्ण नहीं होती है। बिना भक्ति के ज्ञान नहीं आ सकता, इसलिए भगवान की भक्ति जरूरी है। भगवान शिव ने नौ प्रकार की भक्ति का उपदेश माता सती को दिया है। भक्ति से हम प्रभु श्रीराम, भोलेनाथ को पा सकते हैं। भक्ति जीवन में है तो भक्त का कल्याण जरूर होगा।
कथा में भज नारायण को नाम रे…, किसने सजाया तुमको भोले, बड़ा प्यारा लागे बड़ा न्यारा लागे…, कथा रामजी की है कल्याणकारी, करेगी मगर ये असर धीरे धीरे… जैसे भजनों पर भक्त जमकर झूमे। इस मौके पर आनंद पाण्डेय, प्रभाकर तिवारी, सरवन पांडेय, नरसिंह मिश्रा, जयंती सिंह, सपना शुक्ला, हरिकेश मिश्रा, मंजू मिश्रा सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।