जहां नम्रता नहीं है वहां धर्म भी नहीं है: ब्रह्मचारी शुभि दीदी

इन्दिरा नगर जैन मन्दिर

लखनऊ। इंदिरानगर जैन मन्दिर मे चल रहे दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की पूजा की गई । सर्वप्रथम मनोज जैन, अभिनव जैन द्वारा जिनेंद्र भगवान को मस्तक पर उठाकर पांडुकशिला पर विराजमान किया एवं सर्वप्रथम स्वर्ण कलशों से अभिषेक किया। सौरभ जैन एवं अभय जैन द्वारा विश्वशंति की कामना से भगवान की शांतिधारा की। बाल ब्रह्मचारी शुभि दीदी ने बताया जहाँ मृदु भाव या नम्रता नहीं है वहाँ धर्म भी नहीं है। और वहाँ नियम, व्रत, तप, दान, पूजा इत्यादि जो मानव करता है विनय भाव के बिना सभी व्यर्थ गिनाया जाता है और कहता है कि मैंने ऐसा किया जो भी किया मैंने किया अन्य कोई भी मेरे समान किया नहीं इस तरह कह कर जो मान कषाय करता है वह अपनी आत्मा को ठगता है और दुनियाँ को भी ठगाया समझना चाहिए। अहँकारी पुरुष मान कषाय के कारण दूसरे के प्रति झुकता नहीं और आपस में जुहार इत्यादि भी अहँकार के वजह से नहीं करता है सूखे बाँस के समान सीधा ही रहता है। जैसे सूखा बाँस नम्र नहीं होता है अगर उसको ज्यादा जोर से झुकाया जाये तो बीच में से ही टूट जाता है उसी प्रकार अहँकारी मनुष्य अंदर नम्रता न होने के कारण अहँकार से किसी के साथ नम्रता न कर आपस में बैर होने से खुद का नाश कर लेता है और लोग मानी पुरुष के साथ हमेशा द्वेष भाव रखते हैं और बार-बार उसका अपमान करने के लिए प्रयत्न करते हैं तब मानी पुरुष को अपमान होने की महान् चिंता होती है और रात दिन आर्त्तध्यान करता रहता है। जो हमेशा विनम्र रहता है उसकी सभी लोग विनय करते हैं। कदाचित् विनयी मनुष्य पर शत्रु आक्रमण भी करने आए तो उनके सामने विनम्र होकर वह खड़ा हो जाता है तब उसकी विनम्रता को देखकर शत्रु भी मित्र बन जाते हैं, जैसे नदी में छोटी सी घास होती है, उस घास के ऊपर से जब जोर से पानी का वेग चलता है तब वह घास अपने को बचाने के लिये पानी में विनम्र हो जाती है तब अपना बचाव कर लेती है, इसी प्रकार विनम्र सज्जन पुरुष की वृत्ति रहती है। ज्यादा मान करने वाले की गर्दन बहुत ऊँची होती है, उसे मान कषाय की वजह से मर कर ऊँट की योनी में जाकर जन्म लेना पड़ता है। जैसे ऊँट हमेशा ऊपर को देखता है और कहता है मेरे समान कोई भी ऊँचा नहीं है। तब पर्वत सामने आता है तब उसको देखकर, उसको लज्जित होकर अपनी गर्दन को नीचा कर लेना पड़ता है।

जैन समाज के मंत्री अभिषेक जैन ने बताया 11 सितम्बर अष्टमी के दिन भगवान पुष्पदंत का मोक्षकल्याणक मंदिर जी में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जायेगा एवं 9 किलो का लाडू भगवान को चढ़ाया जाएगा । इस अवसर पर धीरज जैन, ऋषभ जैन, अतिशय दिव्य, आयुष, आकाश उपस्थित रहे ।

अहंकार मानव जीवन का घातक शत्रु है : सागर जी महाराज
लखनऊ। दस लक्षण धर्म (पर्युषण पर्व) के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की पूजा की गई। इस मौके पर जैन धर्म के 7 वे तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ भगवान का गर्भकल्याणक धूमधाम से मनाया गया। वही सआदतगंज जैन मंदिर में प्रथम अभिषेक का सौभाग्य सुमेर चंद, बाबू लाल, श्रीकृष्ण, वीरेंद्र गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ। जबकि शांति धारा कलश की बोली लेकर उत्तम चंद्र जैन के पुत्र राजीव व अमित जैन ने भक्ति पूर्वक भगवान का जलाभिषेक किया। इस मौके पर में विराजमान जैन गुरु श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में व्यक्त किया की अहंकार मानव जीवन का घातक शत्रु है,इसलिए मान को कषाय रूपी प्रणति कहा गया है। मन में कोमलता और व्यवहार में नर्मता रखने वाला व्यक्ति मार्दव धर्म का पालन करता है।अहंकार के भार से मुक्त हुआ व्यक्ति परमात्मा को उपलब्ध होता है। जहां अहंकार है वहां मिलन नहीं है, मात्र दुख है। व्यक्ति के सारे प्रयास अहंकार के हैं यह अहंकार की भावना छिपकली की भावना है जो की छत पर चिपक कर सोच रही और मेरी बदौलत या छत टिकी हुई है। अहंकार मनुष्य को कठोर बनाता है और विनम्रता व्यक्ति को नम्र बनाती है। नमन को स्वीकारने वाला ही जीवन का उत्थान करता है अहंकार तो दूसरों को नीचे गिराता है और स्वयं ऊपर उठाना चाहता है पर दूसरों को नीचे गिराने वाला स्वयं नीचे ही गिरता है। आज के कार्यक्रम के मध्य जैन गुरु के चरण प्रक्षालन का सौभाग्य संदीप जैन भारती को प्राप्त हुआ। जबकि शास्त्र भेंट विशाल जैन गोमती नगर को प्राप्त हुआ।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अरविंद कुमार जैन मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर विकास विभाग उत्तर प्रदेश उपस्थित रहे। शाम को गुरु भक्ति के मध्य सभी भक्तों ने धूमधाम से आरती एवं भगवान की भक्ति अर्चना करी । उधर इंदिरा नगर दिगंबर जैन मंदिर में भी सभी भक्तों ने मार्दव धर्म की पूजा अर्चना की। आशियाना दिगंबर जैन मंदिर में प्रोफेसर अभय कुमार जैन के निर्देशन में सभी पूजा अर्चना हुई।

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