शहीद भगत सिंह शहादत दिवस का आयोजन
लखनऊ। शहीदे आजम भगत सिंह और उनके साथियों सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस के मौके पर जन संस्कृति मंच, नागरिक परिषद आदि संस्थाओं की ओर शहीद स्मारक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर स्मृति सभा का आयोजन किया गया। आज ही पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश का भी शहीदी दिवस है। उन्हें भी याद किया गया। अध्यक्षता क्रांति शुक्ला ने की। संचालन किया वीरेंद्र त्रिपाठी ने।
भगतसिंह के दौर और क्रांतिकारी आन्दोलन पर जसम उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर, लेखक शकील सिद्दीकी, कवयित्री तस्वीर नकवी व विमल किशोर, उर्दू लेखक असगर मेहदी, आल इंडिया वर्कर्स कौंसिल के ओ पी सिन्हा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
वक्ताओं का कहना था कि भगत सिंह ने बार-बार स्पष्ट किया था कि आजादी से उनका मतलब ब्रिटिश सत्ता की जगह देशी सामंतो व पूँजीपतियों की सत्ता नहीं, बल्कि शोषण उत्पीड़न से करोड़ों करोड़ों मेहनतकशों की आजादी तथा मेहनतकश जनता के हाथों में वास्तविक सत्ता का होना है। वक्ताओं का आगे कहा कि सख्त अफसोस की बात है कि भगत सिंह और उनके साथियों ने आजादी का जो सपना देखा था, जिस संघर्ष और क्रांति का आह्वान किया था, वह अधूरा ही रहा। जरूरी है कि उनके विचारों को दूर तक पहुंचाया जाए। फासीवादी शक्तियों के विरुद्ध जनता के संघर्षों को तेज किया जाए। उन्हें याद करने का यही मतलब है। इस मौके पर कौशल किशोर ने अवतार सिंह पाश की कविता को उद्धृत किया जिसमें वे कहते हैं ‘भगत सिंह ने पहली बार पंजाब, जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से बुद्धिवाद की ओर मोड़ा था जिस दिन फाँसी दी गई, उनकी कोठरी में लेनिन की किताब मिली, जिसका एक पन्ना मुड़ा हुआ था। पंजाब की जवानी को उसके आखिरी दिन से इस मुड़े पन्ने से बढ़ना है आगे चलना है आगे।