वॉयस सैंपल से सच आएगा सामने, लविवि लॉ पेपर ऑडियो लीक कांड में तेज हुई जांच

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के लॉ का पेपर ऑडियो लीक मामला का अब असल सच तब सामने आ सकेगा जब वायरल हुई वॉयस रिकार्डिंग की जांच के लिए आरोपियों का वॉयस सैंपल लिया जायेगा। इस बारे में कुछ शिक्षकों का भी यही कहना है कि मामला गंभीर है, विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसा कभी नही हुआ।

ऐसे में जांच जितनी जल्दी और निष्पक्ष हो उतनी जल्दी हकीकत सामने आ जायेगी। वहीं कुछ शिक्षकों ये भी कहते हैं कि जो वॉयस रिकार्डिंग वॉयरल हुई है, उसकी जांच के लिए आरोपियों की आवाज के सैंपल से मिलान होना बेहद जरूरी है तभी असल सच सामने आ जायेगा। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री की ओर से मामले को संज्ञान में लेने के बाद एसटीएफ अपनी जांच में जुटी हुई है। जबकि हसनगंज पुलिस भी अभी तक हुई पूछताछ के बाद मान रही है कि जो ऑडियो वॉयरल हुआ है, उसकी जांच होगी तो हकीकत सामने आ जायेगी।

वहीं इस बारे में एसटीएफ की ओर से पूछताछ जारी है। एडिशनल एसपी शेष मणि उपाध्याय का कहना है कि जांच सभी लोगों से पूछताछ के बाद कुछ लोगों से दोबारा भी पूछताछ की जायेगी, उसके बाद जो स्थिति सामने आयेगी, उसके बाद अगला कदम उठाया जायेगा। उन्होंने बताया कि बीते मंगलवार को भी कई लोगों से पूछताछ की गयी है। उम्मीद है कि जल्द ही मामले की सच्चाई तक पहुंचा जा सकेगा। वहीं, इस बारे में लविवि हसनंगज पुलिस की ओर से जांच कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय चौकी प्रभारी अभय सिंह कहना है मामले की जांच उच्च अधिकारियों के निर्देश पर की जा रही है, जरूरत पड़ेगी तो वायरल रिकार्डिंग में जिन लोगों का नाम आ रहा है। उनकी आवाज का सैंपल लेकर जांच करायी जायेगी।

जांच को प्रभावित कराने का आरोप

लविवि में लॉ पेपर ऑडियो लीक कांड की जांच को सत्ता की हनक में एक बड़े नेता की ओर से जांच को प्रभावित कराने का प्रयास किया रहा है। सूत्रों कहना है कि जांच में देरी कर मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस बारे जांच अधिकारियों कहना है कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है, उनके आदेश पर जांच हो रही है इसलिए हर बिंदु पर जांच किया जाना जरूरी है। जांच अधिकारियों का ये भी कहना है कि मामले की कड़ी जहां से भी जुड़ रही होगी उससे पूछताछ की जायेगी।

विश्वविद्यालय की जांच समिति पर भरोसा नहीं

विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने भले ही जांच समिति गठित कर दी है लेकिन पूरी तरह से इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। इससे पहले भी जो मामले हुए हैं उसमें सिर्फ लीपा पोती ही हुई है। ऐसे में कोई बाहरी कमेटी से जांच कराया जाना बेहद जरूरी है। हालांकि बुधवार को क्रिसमस की छुट्टी होने के कारण कई जांच शुरू नहीं हो सकी है, उम्मीद है कि 27 दिसंबर को जांच प्रक्रिया रफ्तार पकड़ेगी।
इस बाबत लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता प्रो. संजय मेधावी ने बताया कि पेपर आॅडियो लीक कांड को लेकर जो आरोप लग रहे हैं। उसमें जांच अधिकारियों का पूरा सहयोग किया जा रहा है, हकीकत सामने आना ही चाहिए। विश्वविद्यालय की समिति भी जल्द ही अपनी जांच पूरी करेगी।

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