विनायक चतुर्थी कल, भक्त करेंगे बप्पा की पूजा

श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं
लखनऊ। हर महीने में विनायक चतुर्थी व्रत पड़ता है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं, उन पर भगवान गणेश की कृपा दृष्टि बनी रहती है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि दिसम्बर 04 को प्रारम्भ होगी दोपहर 1:10 मिनट पर। तिथि का समापन 5 दिसम्बर को दोपहर 12:49 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 5 दिसम्बर को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।

विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का काफी ज्यादा महत्व है। इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर जातकों के जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। इस दिन नए कार्यों की शुरूआत करना काफी ज्यादा शुभ माना जाता है। वैसे भी भगवान गणेश को बुद्धि और विवेक का दाता माना जाता है, इसलिए खासकर बच्चे यदि उनकी पूजा-अर्चना करें, तो उन्हें पढ़ाई और कैरियर में अपार सफलता मिलती है। बता दें कि भगवान गणेश को 12 नाम से पुकारा जाता है। जिनमें सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन शामिल है। इन सभी नाम से गणपति बप्पा जाने जाते हैं। उनके मंत्रों का जाप करने से भी भक्तों के जीवन की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। घर और मंदिर की सफाई कर चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजमान करें। इसके बाद गणपति बप्पा को फल, फूल, धूप समेत आदि चीजें अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाकर विधिपूर्वक आरती करें और मंत्रों का जप करें। इसके बाद फल और मोदक समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें। भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें। गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं। मोदक का भोग लगाएं, मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें। चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें। व्रत का पारण करें, क्षमा प्रार्थना करें।

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