लखनऊ। उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन माता एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस दिन का खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और दान पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने में व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। जिससे व्यक्ति को कभी भी धन की कमी नहीं होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 26 नवंबर को 1 बजकर 1 मिनट पर होगी, वहीं तिथि का समापन 27 नवंबर को सुबह 3 बजकर 47 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत मंगलवार 26 नवंबर को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 नवंबर को देर रात 01 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 नवंबर को देर रात 03 बजकर 47 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अत: 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी। साधक 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वहीं, उत्पन्ना एकादशी का पारण 27 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से लेकर 03 बजकर 18 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
एकादशी पर हो रहा तीन शुभ योग का निर्माण
ज्योतिषियों की मानें तो देवउठनी एकादशी पर सर्वप्रथम प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। इसके अलावा, शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशियों का आगमन होगा।
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
उत्पन्ना एकादशी का व्रत का पूजन करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। उसके बाद उत्पन्ना एकादशी व्रत का संकल्प लें. फिर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। फिर भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें। उसके बाद विष्णु जी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी से तैयार पंचामृत अर्पित करें. विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है इसलिए पंचामृत में तुलसी जरूर डाले। उसके बाद उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा का पाठ करें, फिर अंत में आरती करके भोग लगाएं और सब में बांटे।
उत्पन्ना एकादशी महत्व
उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन दान पु्ण्य बहुत शुभ होता है. जिसका व्यक्ति को कई गुना फल मिलता है।