नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) के दूसरे व तीसरे चरण को मंजूरी दे दी। इसके तहत देश भर में चयनित 19 राज्यों के 736 बांधों की सुरक्षा और परिचालन को बेहतर बनाने के लिए 10 सालों में 10,211 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह परियोजना अप्रैल 2021 से मार्च 2031 तक लागू की जाएगी। उन्होंने बताया कि परियोजना का पहला चरण 2012 में शुरू किया गया था और यह 2020 में पूरा हुआ जिसमें सात राज्यों के 223 बांधों को शामिल किया गया था।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत आने वाले खर्च का 80 फीसद हिस्सा विश्व बैंक और अन्य संस्थान वहन करेंगे। यह पूछे जाने पर कि किन बांधों को सरकार प्राथमिकता देगी, शेखावत ने बताया कि चूंकि बांध राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं इसलिए वे ही इसकी प्राथमिकता तय करेंगे और इस संबंध में केंद्र को प्रस्ताव भेजेंगे। इस परियोजना में मौजूदा बांधों के क्षमता निर्माण, पुनर्निर्माण और उन्हें मजबूती देना भी शामिल है।
इस सिलसिले में अधिकारियों के प्रशिक्षण का एक अलग कार्यक्रम पहले से ही चल रहा है। मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री ने परियोजना के पूरे व्यय का चार फीसद हिस्सा मौजूदा बांधों पर पर्यटन को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर खर्च करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। बड़े बांधों के मामले में भारत, चीन और अमेरिका के बाद विश्व में तीसरे स्थान पर है।
भारत के पास 5334 बड़े बांध हैं और 411 अभी निर्माणाधीन हैं। मौजूदा बांधों में 80 फीसद ऐसे हैं जो 25 साल पुराने हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो 100 साल पुराने हो चुके हैं फिर भी कार्यरत हैं। ऐसे बांधों की मरम्मत, उनकी मजबूती और उनका क्षमता निर्माण करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी क्योंकि सभी पुरानी तकनीक के हिसाब से बने थे।