नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना के दोषी ठहराए गए अधिवक्ता प्रशांत भूषण को इन ट्वीट के लिए क्षमा याचना से इंकार करने वाले बगावती बयान पर पुनर्विचार के लिए गुरुवार को दो दिन का समय प्रदान किया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्ईय खंडपीठ से भूषण ने कहा कि वह अपने वकीलों से सलाह मशविरा करेंगे और न्यायालय के इस सुझाव पर विचार करेंगे।
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से अनुरोध किया कि अवमानना के मामले में भूषण को अब कोई सजा नहीं दी जाए, क्योंकि उन्हें दोषी पहले ही ठहराया जा चुका है। पीठ ने कहा कि वह वेणुगोपाल का अनुरोध उस समय तक स्वीकार नहीं कर सकती जब तक प्रशांत भूषण अपने ट्वीट के लिए क्षमा याचना नहीं करने के अपने रुख पर पुनर्विचार नहीं करते।
पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि भूषण के बयान के स्वर, भाव और विवरण मामले को और बिगाडऩे वाला है। क्या यह बचाव है या फिर आक्रामकता। न्यायालय ने कहा कि वह बेहद नरमी बरत सकता है, अगर गलती करने का अहसास हो। पीठ ने इसके साथ ही मामले को 24 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने भूषण के वकील के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए इस मामले में सजा के सवाल पर दूसरी पीठ सुनवाई करे। अवमाननाकर्ता को न्यायालय की अवमानना के जुर्म में अधिकतम छह महीने की कैद या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।
पीठ ने भूषण को यह आश्वासन दिया कि उन्हें दोषी ठहराने के आदेश के खिलाफ उनकी पुनर्विचार याचिका पर निर्णय होने तक सजा पर अमल नहीं किया जाएगा। पीठ ने भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा कि वह सजा के सवाल पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई करने का अनुरोध करके अनुचित कृत्य करने के लिए कह रहे हैं।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वह जल्द ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इसलिए स्थगन का अनुरोध नहीं करना चाहिए और इस मामले के अंतिम रूप से निर्णय के बाद ही पुनर्विचार पर फैसला होगा। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका पर फैसला होने तक सजा के सवाल पर सुनवाई स्थगित करने के लिए बुधवार को दायर भूषण के आवेदन पर विचार नहीं किया जा रहा है।
कार्यवाही शुरू होते ही दवे ने इस मामले में सजा के सवाल पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया और कहा कि वह दोषी ठहराने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।