समय के पाबंद ई-श्रीधरन राजनीति में विलम्ब से पहुंचे हैं लेकिन भाजपा ने केरल के लालगढ़ में केसरिया टैÑक बनाने का काम उनको बहुत समय पर सौंपा है। पांच राज्यों में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों के तहत केरल में इसी साल अपै्रल-मई में चुनावों होने वाले हैं और भाजपा के राष्ट्रव्यापी महाविजय के बावजूद हिन्दुस्तान के दक्षिणी छोर पर बसे केरल में भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव में महज खाता खोल पायी थी लेकिन 13 फीसद के करीब वोट झटकर और विधानसभा की एक सीट को जीतकर भाजपा को बड़ा इतना शुकून मिला था।
कारण कि भाजपा अपनी स्थापना के महज डेढ़ दशक में केन्द्रीय सत्ता में काबिज होने में सफल हो गयी थी। आज भी केन्द्र में भाजपा का पूर्ण बहुमत है, आधे से अधिक राज्यों में भाजपा राज कर रही है और देश-दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भी बन गयी है। अपने कट्टर वैचारिक विरोधी वामपंथी दलों से दो-दो हाथ करके उनको त्रिपुरा से विदा करने और बंगाल की जमीन छीनने में भी सफल हो गयी है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव तक कभी एमएलए की सीट भी नहीं जीत पायी थी।
हालांकि केरल में आरएसएस-भाजपा का मजबूत ढांचा है, हर गांव और मोहल्ले में भाजपा व आरएसएस के कार्यकर्ता हैं और वैचारिक तौर पर भी केरल में चाहे कांग्रेस के नेतृत्व में यूडीएफ हो या सीपीएम के नेतृत्व एलडीएफ, इन सबका विरोध भाजपा से ही है। ऐसे में केरल में भाजपा का मजबूत दावेदार न बन पाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती थी। राज्य में पार्टी नेतृत्व भी नहीं उभर रहा था। लंबे समय तक केरल में भाजपा के कर्ताधर्ता रहे ओ राजगोपाल कुछ खास नहीं कर पा रहे थे।
मोदी ने पूर्व नौकरशाह अल्फोंस कन्नन को राज्यसभा में भेजकर और मंत्री बनाकर केरल में पार्टी की जमीन तैयार करने की कोशिश की, लेकिन कुछ लाभ नहीं हुआ। ऐसे में जब चुनाव सिर पर आ गये थे तब अगर भाजपा केरल में महज खानापूर्ति के लिए उतरती तो राजनीति रूप से सही फैसला नहीं होता। संभवत: इसीलिए भाजपा ने मेट्रोमैन ई. श्रीधरन को राजनीतिक में लाकर विधानसभा चुनाव के दौरान यूडीएफ एवं एलडीएफ के सामने बड़ी चुनौती पेश करने की तुरुप चाल चल दी है।
वैश्विक प्रतिष्ठा के साथ ई.श्रीधरन की छवि व व्यक्तित्व इतना बड़ा है कि उन्हें एक व्यक्ति के तौर पर देखना नाइंसाफी होगी। वे अपने आप में एक संस्था हैं और रेलवे इंजीनियरिंग से अपनी कैरियर शुरू कर रेलवे के विकास में अहम योगदान के साथ कोंकण रेल एवं देश में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को लागू करना, समय से पूरा करना उकनी बड़ी उपलब्धि है। वे भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का आधुनिक चेहरा हैं। टाइम के हीरो, तमाम उपाधियों के साथ पदम विभूषण जैसे सम्मान के साथ उनका व्यक्तित्व इतना बड़ा हो जाता है कि यूडीएफ एवं एलडीएफ का नेतृत्व उसके सामने बौना नजर आयेगा।
ई.श्रीधरन ने भी केसरिया गमछा ओढ़ते ही पूरे फार्म में आ गये हैं। उन्होंने मोदी के साथ एवं गुणों को बताने, उनकी प्रशंसा करने के साथ धर्मांतरण एवं किसान बिल पर भी पार्टी लाइन का समर्थन किया है। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने की इच्छा ज ताने के साथ ही उन्होंने केरल के बुनियादी विकास, औद्योगीकरण और राज्य को कर्ममुक्त बनाने का एजेंडा भी सेट कर दिया है। कुला मिलाकर भाजपा ने केरल में ई.श्रीधरन के रूप में जो दांव चला है वह एलडीएफ एवं यूडीएफ के लिए बड़ी चुनौती पेश करेगें ओर चुनाव में भाजपा को हल्के में लेने की गलती भी कोई नहीं करेगा।