ईश्वर की पूजा सगुण व निर्गुण सभी रूपों में की जा सकती है
लखनऊ। बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्री श्याम मंदिर में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिन विश्वविख्यात परमपूज्य ब्रह्मषी किरीट भाई जी द्वारा श्रीहरि भक्तों को रसपान कराया गया।
ब्रह्मषी किरीट भाई ने कहा कि कि धर्म का मार्ग सदैव शांति का होता है। अधर्म का क्षणिक प्रभाव तो सुखद हो सकता है, परंतु इसके प्रभाव से कई जन्मों का कष्ट भोगना पड़ता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान योग की दीक्षा देकर सत्य का अपराजेय बनाने का मंत्र दिया था। आत्मा परमात्मा का अंश होती है। आत्मा व परमात्मा का मिलन होने को ही सच्चा आनंद कहते हैं। विलासिता व्यक्ति को पतन के मार्ग पर ले जाती है। ईश्वर की पूजा सगुण व निर्गुण सभी रूपों में की जा सकती है। सतयुग का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस युग में तप साधना काफी कठिन होती थी। कलियुग में परमात्मा के नाम के स्मरण मात्र से ही पाप नष्ट हो जाते हैं।
भागवत जिज्ञासा का विषय है। हम जीवन में हर क्षण जाने अनजाने में पाप कर्म लादते चले आ रहे हैं। कलयुग में भक्ति ही एकमात्र उपाय है जो इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को मंजिल तक पहुंचा सकता है। जीवन में सफलता के लिए जिस तरह जोश और होश की जरूरत होती है उसी तरह भागवत श्रवण में भी जोश के साथ होश की जरूरत होती है। भागवत ऐसा अमृत कलश है, जिसकी एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जानी चाहिए। भागवत न तो ज्ञानियों का विषय है और न ही मूर्खों का। यह तो भक्ति, भक्त, भगवान और भागवत परमात्मा से मिलने के एक-दूसरे से जुड़े सेतु हैं।
प्रवक्ता अनुराग साहू ने बताया कि तृतीय दिन की श्रीमद्भागवत कथा मध्याह्न 3 बजे 6 तक आयोजित किया जाएगा।
उस अवसर पर मुख्य यजमान अतुल अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल, महामंत्री रूपेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष आशीष अग्रवाल, एसीपी महानगर अंकित कुमार और एसएचओ महानगर अखिलेश मिश्रा, अनुराग साहू, पंकज मिश्रा, पूनम, करिश्मा, विकास सहित बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहें।





