यात्रा प्रतिबंध: इटली के विश्वविद्यालयों में पंजीकृत भारतीय विद्यार्थी भारत में फंसे

नयी दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान परिवार के साथ रहने या किसी प्रियजन के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भारत लौटे इटली के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय विद्यार्थी यूरोपीय देशों में हवाई यात्रा पर लगी रोक जारी रहने की वजह से अब यहां फंस गए हैं। इटली में कोविड-19 की निर्दयी पहली लहर को याद करते हुए कई विद्यार्थी इस साल की शुरुआत में अपने घरों को लौट आए थे। इनमें से कुछ समय पर आ गए थे। जो विद्यार्थी 28 अप्रैल से पहले भारत आए, वे अब फंस गए हैं जबकि अन्य देशों के उनके सहपाठी अपने-अपने संस्थानों में लौट चुके हैं। इटली में हवाई यात्रा प्रतिबंध 28 अप्रैल को लागू किए गए थे।

 

ऐसे ही विद्यार्थियों में रोम सैपिएंजा विश्वविद्यालय में साइबर सुरक्षा विषय में अध्ययन कर रहे जीशान अहमद शामिल हैं, जो बहन के कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद स्वदेश लौटे थे और इसके बाद वह स्वयं और उनका पूरा परिवार संक्रमित हो गया था। अहमद ने बातचीत में कहा, वह अफरा-तफरी वाला माहौल था। मैंने इटली में पिछले साल जो तबाही देखी थी, यह उसी की पुनरावृत्ति थी। जब मुझे बहन के संक्रमित होने की जानकारी मिली तो इसने मुझे और भी भयभीत कर दिया। इसके बाद आसपास के सभी लोगों के संक्रमित होने और प्रियजन एवंपरिवार के सदस्यों के जाने की खबरें रोज की बात हो गई।

 

उन्होंने कहा, दूसरी लहर की विभीषिका संभवत: कम हो गई है लेकिन मेरा बुरा दौर खत्म नहीं हुआ है। इटली में हालात सामान्य हो गए हैं लेकिन मैं यहां फंस गया हूं , जबकि विश्वविद्यालय में अब सामान्य रूप से पढ़ाई हो रही है। वहां मैं पार्टटाइम नौकरी करता था, जिसे मैं यहां से कर रहा हूं लेकिन अगले कुछ हफ्तों में यह विकल्प नहीं होगा क्योंकि मेरी अनुपस्थित से काम प्रभावित हो रहा है। इसी विश्वविद्यालय में एमएससी कंप्यूटर विज्ञान की पढ़ाई कर रहे अलीगढ़ के ओवैस आर खान बताते हैं कि वह फरवरी में भारत आए थे, जब दोनों देशों में हालात अपेक्षाकृत बेहतर थे।

 

उन्होंने कहा, अचानक मेरे लौटने के कार्यक्रम से एक हफ्ता पहले स्थिति नारकीय हो गई। इटली ने यात्रा प्रतिबंध लगा दिए जो अब भी लागू हैं। मेरे विश्वविद्यालय में आनलाइन और आफलाइन माध्यम से परीक्षा हो रही है। हमने दूतावास से संपर्क किया, हम इटली के समक्ष मुद्दा उठाने के लिए मंत्रालय को ई-मेल भेज रहे हैं लेकिन कुछ नहीं हो रहा हैं। खान ने कहा, ऐसा लगता है कि हम एक चक्रव्यूह में फंस गए हैं। पिछले साल मैं इटली में फंस गया था, तब यहां परिवार चिंतित था। एक साल बाद वहीं स्थिति भारत में हुई और हमने खुद को उसी स्थिति में दोबारा पाया। उस स्थिति से निपटना मुश्किल होता है, जब परिवार का कोई सदस्य चला जाता है और अंतिम संस्कार की भयावह यादें दिमाग में घूमती रहती है।

 

विटा सैल्यूट सैन राफेल विश्वविद्यालय में एमएमबीएस के छात्र निहाल विक्रम सिंह की समस्या यात्रा में देरी ही नहीं है, बल्कि निवास परमिट और भारतीय टीके को मान्यता नहीं देना भी है। उन्होंने कहा, निवास परमिट के अनुसार हम छह महीने से अधिक समय तक इटली से बाहर नहीं रह सकते। इसके साथ ही मैं चिकित्सा का छात्र हूं, सिद्धांत संबंधी पाठ्यक्रम की कक्षाएं तो आनलाइन हो रही हैं लेकिन मेरे पाठ्यक्रम के लिए यह पर्याप्त नहीं है। इस बीच इटली में भारत की राजदूत डॉ.नीना मल्होत्रा ने नौ जुलाई को समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और रियायत की मांग को लेकर दूतावास द्वारा किए जा रहे प्रयासों से अवगत कराया।

 

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