शारदीय नवरात्र : पालकी में सवार होकर आयेंगी मां भवानी
लखनऊ। आश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरूआत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार 3 अक्तूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। इसका समापन 11 अक्तूबर 2024 को नवमी पर होगा। वहीं 12 अक्तूबर को दशहरा मनाया जाएगा। आश्विन माह के ये नौ दिन मां दुर्गा की पूजा को समर्पित है। इस अवधी में माता रानी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास और धन-धान्य में वृद्धि होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है। इससे देवी प्रसन्न होती हैं, और हर मनोकामना पूरी करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार कलश को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। इसकी स्थापना करने से जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं। इस बार नवरात्रि के पहले दिन ऐन्द्र योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना करना और भी शुभ माना जा रहा है। आइए शुभ मुहूर्त से लेकर कलश स्थापना की विधि को जानते हैं। इस साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्तूबर को सुबह 12 बजकर 19 मिनट से होगा। तिथि का समापन 4 अक्तूबर को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है।
कलश स्थापना मुहूर्त :
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय का है। यह मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12:33 तक रहेगा। आप इस दौरान भी कलश स्थापना कर सकते हैं।
पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा:
नवरात्रि में मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर, यह इस पर निर्भर करता है कि नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा है। मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि का आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी अश्व यानी कि घोड़ा मानी जाती है। यदि नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होती है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती है। यदि मां दुर्गा रविवार और सोमवार को आती हैं तो उनकी सवारी हाथी होती है। जो कि सबसे शुभ मानी जाती है।
देवी मां की आराधना को मंदिर सजकर तैयार, भोर से होगा पूजन
लखनऊ। श्रद्धा, भक्ति और आस्था का पर्व शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो रहा है। नौ दिन तक चलने वाले इस धार्मिक उत्सव को लेकर देवी मंदिरों की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। रंगीन लाइटों, फूलों से मंदिर सज चुके हैं। पहले दिन गुरुवार को मंदिरों में तड़के से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। इसे देखते हुए शहर के प्रमुख मंदिर के प्रबंधन, स्थानीय पुलिस ने पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। मंदिरों में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग लाइन रहेगी। वहीं, मंदिरों के बाहर फल, फूल की दुकानें भी लग गई हैं। घरों में भी लोगों ने कलश स्थापना व विधि विधान से पूजन की तैयारियां कर ली हैं।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी। शहर के प्रमुख मंदिरों में चौक बड़ी और छोटी काली जी मंदिर, शास्त्री नगर श्री दुर्गा जी मंदिर, संदोहन मंदिर, संकटादेवी मंदिर, मां पूर्वी देवी बाघम्बरी देवी मंदिर, घसियारी मंडी स्थित कालीबाड़ी, हुसैनगंज छितवापुर के भुईयन देवी मंदिर, मेहंदीगंज मां शीलता देवी मंदिर, बीकेटी के मां चंद्रिका देवी मंदिर, बीकेटी नंदनवन स्थित 52 शक्तिपीठ, अर्जुनगंज में मरी माता मंदिर, गणेशगंज के संतोषी माता समेत अन्य देवी मंदिरों में रंगरोगन के साथ भव्य तैयारी हो चुकी है।
सीसीटीवी कैमरे लगे, सेवादार करेंगे सुरक्षा
चौक के कालीजी मंदिर, घसियारी मंडी स्थित कालीबाड़ी मंदिर और बीकेटी के चंद्रिका देवी मंदिर में विशेष रूप से सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इन मंदिरों को कई कुंतल फूलों से सजाया गया है। इन प्रमुख मंदिरों को सीसीटीवी से लैस किया गया है। अधिक भीड़ के चलते सेवादारों और गार्डों की भी तैनाती रहेगी, जिससे मंदिर में श्रद्धालू पंक्तिबद्ध होकर सुरक्षित तरीके से पूजन कर सके। आशीष सेवा यज्ञ न्यास के अध्यक्ष तृप्ति तिवारी ने बताया कि बीकेटी 51 शक्तिपीठ मंदिर में पहले दिन मां का नीलांबर श्रृंगार होगा।
शारदीय नवरात्र महत्व:
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्र उत्सव मनाया जाता है। शारदीय नवरात्र शरद ऋतु में मनाया जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी दुर्गा ने शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में महिषासुर से युद्ध किया और विजयादशमी के दिन उसका वध किया था। शारदीय नवरात्र के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने और व्रत रखने से सुख-समृद्धि बनी रहती है।
इंद्र योग में शारदीय नवरात्र का होगा शुभारंभ
इस साल शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ इंद्र योग और हस्त नक्षत्र में हो रहा है. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन 3 अक्टूबर को इंद्र योग प्रात:काल से लेकर अगले दिन 4 अक्टूबर को प्रात: 4 बजकर 24 मिनट तक है। उसके बाद से वैधृति योग है, वहीं हस्त नक्षत्र भी प्रतिपदा के दिन प्रात:काल से लेकर दोपहर 3 बजकर 32 मिनट तक है. उसके बाद से चित्रा नक्षत्र है, जो पूर्ण रात्रि तक है।
कलश स्थापना विधि:
कलश स्थापना करने से पहले आप एक मिट्टी के पात्र को लें। फिर एक साफ थाली में थोड़ी सी मिट्टी को डाल दें। अब उसमें जौ के बीज को मिलाएं। इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डाल दें, और पानी से छिड़काव करें। अब आप एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। फिर उसके ऊपरी भाग में मौली बांध लें। अब लोटे में साफ जल के साथ उसमें थोड़ा गंगाजल भी मिला लें। फिर उसके ऊपर दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रख दें। इसके बाद आप आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रख दें। एक पानी वाले नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांध दें। फिर इस नारियल को कलश के बीच में रख दें, और बाद में इसे पात्र के मध्य में स्थापित कर दें। इस दौरान माता रानी के मंत्रों का जाप करते रहें, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
इक्यावन शक्तिपीठ में मां की आराधना आज से
लखनऊ। नन्दनवन बीकेटी स्थित इक्यावन शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्र महोत्सव 3 से 11 अक्टूबर तक तक धूमधाम से मनाया जायेगा। आशीष सेवा यज्ञ न्यास के अध्यक्ष तृप्ति तिवारी ने बताया कि सुबह दस बजे मन्दिर में कलश स्थापना के बाद प्राथम मां शैल पुत्री की आराधना होगी। उन्होंने बताया कि शाम को मां का भवन व शक्तिपीठ नीलाम्बर श्रंगार से सजेगा। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर नवमी मनाई जाएगी।
नवरात्र के पहले दिन होगी माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना

लखनऊ। मां दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। यही देवी प्रथम दुर्गा हैं। ये ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। उनकी एक मार्मिक कहानी है। एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित कियाए भगवान शंकर को नहीं।
सती यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुंचा। वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दु:ख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
कैसे करें प्रसन्न :
देवी संवाद अनुसार, माता को सफेद एवं लाल रंग की वस्तुएं बहुत पसंद हैं, इसलिए नवरात्रि के पहले दिन उनके इस स्वरूप के समक्ष सफेद या लाल रंग के पुष्प अर्पित कर लाल सिंदूर लगाएं। गाय के दूध से बने पकवान एवं मिष्ठान का भोग लगाने से माता भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही भक्तों के घर की दरिद्रता को दूर करके उनके परिवार के सभी सदस्यों को रोगमुक्त कर देती हैं। भक्त को संशय रहित होकर माता का पूजन करना चाहिए।
नवरात्र पर बाजार गुलजार, पूजा सामग्री की हुई खरीदारी

लखनऊ। शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो रहे हैं। नौ दिन तक माता रानी की पूजा अर्चना की जाएगी। माता की चौकी सजाने के लिए श्रद्धालु बाजार में खरीदारी कर रहे हैं। लाल चुनरी से बाजार में दुकाने सज उठी हैं। दस रुपये से लेकर एक हजार रुपये की कीमत में सितारों से जड़ी चुनरी उपलब्ध है।
15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। नौ दिन तक धार्मिक अनुष्ठान की धूम रहेगी। मां भगवती की आराधना की जाएगी। इसके चलते मंदिरों की साफ.सफाई से लेकर भव्य रूप से सजावट की जा रही है। वहीं बाजार नवरात्र की खरीदारी के लिए तैयार हो गया है। माता की लाल चुनरी से लेकर पूजा की विभिन्न सामग्री उपलब्ध है। लोग माता की चौकी सजाने के लिए खरीदारी कर रहे हैं। पूजा की विभिन्न सामग्री पैकेट में उपलब्ध है। इसके अलावा व्रत में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ की खरीदारी शुरू हो गई है। बाजार में चहल-पहल देखी जा रही है।
शारदीय नवरात्र की रौनक घरों में ही नहीं, बल्कि मंदिरों और बाजार में भी देखी जा सकती है। नवरात्र की पूजा व व्रत विधि.विधान से करने पर मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। शारदीय नवरात्रि सात अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। कलश स्थापना इसी दिन सुबह की जाएगी। मान्यता है कि अगर भक्त संकल्प लेकर नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और उसे पूरी भावना और मन से जलाए रखे तो देवी प्रसन्न होती हैं और उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं। नवरात्र के दौरान माता रानी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु कलश स्थापना, अंखड ज्योतिए माता की चौकी आदि तरह के पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्र पर्व को लेकर श्रद्घालुओं में उत्साह है। बाजारों में खरीददारी करने के लिए महिलाएं जा रही है। कुछ भक्तों ने पितृपक्ष खत्म होने और प्रतिपद्रा लगने के बाद पूजा की खरीददारी शुरू करेगें। आलमबाग, अमीनाबाद, निशांतगंज, चौक, इंदिरानगर एवं गली महौल्लों में पूजा की दुकानों पर खरीदारी हो रही है। दुकानों पर दुर्गा मां की मूर्ति से लेकर माला चुनरी मिल रही है। वहीं कई दुकानों पर सारी पूजा सामाग्री के बने बनाए पैकट मिल रहे हैं। वहीं कुछ भक्तों ने गुरुवार को ही घरों में कलश स्थापना और मां के दरबार को सजाने के लिए चुनरी के साथ ही नारियल व पूजन सामग्री खरीदी। लोग पूजा के लिए प्रयोग में लाने वाली इलायची, कपूर, कलावा से लेकर हर छोटी से छोटी सामाग्री लिस्ट बनाकर खरीदतें नज़र आएं।
माता रानी की शृंगार सामग्री से सजे बाजार
अमीनाबाद के महावीर दुकान के मालिक महावीर ने बताया कि गुरुवार से नवरात्र के आयोजन शुरू हो रहे हैं, इसके चलते आज काफी भीड़ है। सनातन धर्म के अनुयायी बहुत ही उत्साह के साथ यह पर्व मनाते हैं। ऐसे में बाजार पूरी तरह से माता रानी की शृंगार सामग्री से गुलजार है। मां की प्रतिमाएं, शृंगार व पूजा से संबंधित सभी समान खूब बिक रहे हैं, साथ ही मां के शृंगार के लिए बिछिया, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, महावर, चुनरी, नए वस्त्र और आभूषण हर कोई खरीद रहा है। बातचीत के दौरान महिलाओं ने कहा कि नवरात्र पावन पर्व है। नवरात्र के नौ दिन अलग-अलग स्वरूपों में मां नौ दुर्गा का दिन होता है. मां के लिए चुनरी, बिछिया, मेहंदी, साज सिंगार का सामान, नए वस्त्र व आभूषण इत्यादि खरीद लिया है।
फलाहारी में 20 से 25 फीसदी की बढोत्तरी
दुर्गा मंदिरों में सफाई जारी नवरात्र को लेकर शहर में जहां देवी मंदिरों की सफाई व साज-सज्जा चल रही है। वहीं, पूजा सामग्री की दुकानों से खरीदारी शुरू हो गई है। कलश स्थापना कर नौ दिन तक विशेष पूजा अनुष्ठान करने वालों के लिए पूजा व व्रत की सामग्री भी दुकानदारों ने सजा दी है। वहीं व्रत के दौरान खाने पीने की सामग्री कूटृ के आटे, मखाने, मूंगफली के दानों आदि की बिक्री भी बाजार में जोर शोर से शुरू हो गई है। फलाहारी में 20 से 25 फीसदी की बढोत्तरी नवरात्रि पर भी महंगाई का असर पड़ा है। स्थिति ये है कि इस बार व्रत रखने वालों का खर्च भी कुछ ज्यादा होगा। त्योहार पर फलों के रेट आसमान छू रहे हैं। किराने का फलाहार सामान भी बीते नवरात्र के मुकाबले 20 से 25 फीसदी का इजाफा हो गया है। जो नारियल पिछले साल 170 रुपये का मिलता था, वो अब 200 रुपये में मिल रहा है। यही हाल कुट्टू का आटा, सिंघाड़ा आटा का भी है। यही नहीं साबुदाना से लेकर लौंग, छुआरा, मखाना से लेकर किशमिश सभी में आग लगी हुई है। यही हाल पूजन सामग्री का भी है। माता की चुनरी, हवन सामग्री, सुपारी, तिल का तेल सबकी कीमतें आसमान छूट रही हैं।