महाकाल की आराधना करने से साधक के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं
लखनऊ। प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का प्रमुख व्रत है, जिसे हर त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से देवों के देव महादेव की उपासना की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत पर सच्चे भाव से महाकाल की आराधना करने से साधक के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं। ये तिथि सुहागिन महिलाओं के लिए और भी खास है, क्योंकि इस दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में मधुरता का वास होता है।
वर्तमान में चैत्र माह जारी है और इस माह में यह व्रत 10 अप्रैल को रखा जा रहा है। इस दिन गुरुवार होने के कारण यह गुरु प्रदोष व्रत होगा। खास बात यह है कि, यह हिंदू नववर्ष का प्रथम प्रदोष व्रत है, जिस पर पूवार्फाल्गुनी नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन चन्द्रमा कन्या राशि में रहेगा। इस संयोग में भगवान शिव की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। इतना ही नहीं शिव परिवार की कृपा से जीवन में खुशियों का वास भी संभव है।
ऐसे करें महादेव को प्रसन्न
अगर आप महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन लाल रंग के वस्त्र, गुड़ का दान करें। साथ ही अन्न का भी दान करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन इन चीजों का दान करने से साधक को जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। साथ ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, फिर साफ कपड़े पहनने चाहिए, फिर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करनी चाहिए। पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। फिर एक बर्तन में शिवलिंग रखना चाहिए। शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र, गुड़हल, आक और मदार के फूल अर्पित करने चाहिए। भगवान को चावल और मखाने की खीर का भोग लगाना चाहिए। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए, शिव पुराण और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए. प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए। शाम के प्रदोष काल में स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा अवश्य करनी चाहिए। आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए। प्रदोष व्रत पर पूरा दिन उपवास करना चाहिए, व्रत में सात्विक भोजन करना चाहिए।