सीता माता को शांति भी कहा जाता है
लखनऊ। महामण्डलेश्रवर स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कि सूर्य प्रकाश नहीं देता है अगर देना कहते हैं तो क्रिया हो जाएगी। बल्कि वह स्वयं प्रकाश स्वरूप है प्रकाश उसका स्वभाव है। ज्ञान (राम) लक्ष्मण (वैराग्य) के साथ भक्ति (सीता) के साथ होना चाहिए सीता माता को शांति भी कहा जाता है यह तीनों साथ नहीं रहेंगे तो अशांति आती है तीनों ही चाहिए। सत्य सनातन सत्संग सेवा समिति की ओर से चांसलर क्लब आश्यिाना में चल रही श्रीराम कथा में बुधवार को स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कि रावण में वैराग्य नहीं है उसके 10 सर बराबर चार वेद और छह शास्त्र का ज्ञान है रावण को भक्ति (सीता) चाहिए लेकिन वैराग्य नहीं चाहिए ब्राज की गोपिकाओं में भक्ति वैराग्य दोनों हैं ज्ञान की कमी है माता शबरी में भी यही स्थिति है। स्वामी ने कहा कि उद्धव जी के जीवन में ज्ञान वैराग्य है भक्ति की कमी है इस लिए तीनों ज्ञान वैराग्य और भक्ति चाहिए। कथा के आयोजन कर्ता अनुराग गुप्ता ने बताया कि कथा 14 सितम्बर तक सायं 4:00 बजे से 6:00 बजे तक होगी।