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तीन दिवसीय कबीर महोत्सव का एनएसएन में हुआ आगाज

बहरूपिया और मेजोक नाटक ने दर्शकों को बांधे रखा

लखनऊ। गोमती नगर के संगीत नाटक अकादमी में कबीरपंथ की कभी न खत्म होने वाली भावना के साथ तीन दिवसीय कबीर महोत्सव का आगाज शुक्रवार से हुआ। महोत्सव की शाम फिल्म अभिनेता और निर्देशक रहे गुरुदत्त और गायक जुबिन गर्ग के नाम रही। संगीत के जरिए महोत्सव में दोनों ही फिल्मी हस्तियों को याद कर नमन किया गया। कबीर महोत्सव में तीन दिन तक संगीत, थिएटर और कला का संगम देखने को मिलेगा।
कबीर महोत्सव की संयोजक संगीता जायसवाल और वीना राना ने बताया कि यह महोत्सव कला, थिएटर, संगीत, साहित्य, फिल्म, युवा अभिव्यक्ति और सामुदायिक स्वास्थ्य का एक उत्सव है। इस साल महोत्सव प्रमुख थिएटर कलाकारों, संगीतकारों, युवा सलाहकारों, मानसिक स्वास्थ्य सुविधाकतार्ओं और कहानीकारों को एक साथ लाया है, जहां विचार, रचनात्मकता और संवाद पनपेंगे। महोत्सव का उद्घाटन शुक्रवार शाम नाटक बहुरूपिया के साथ हुआ। लेखक राजेश कुमार और निर्देशक लकी जी गुप्ता का यह शक्तिशाली हिंदी नाटक पारंपरिक बहुरूपिया कलाकारों के वास्तविक जीवन से प्रेरित सदियों पुरानी लोककला के पतन की पड़ताल करता है। बहुरूपिया को एक अकेले सांस्कृतिक योद्धा के रूप में चित्रित किया गया।
नई पुरानी हर पीढ़ी के स्टार फिल्म एक्टर, डायरेक्टर रहे गुरुदत्त को उनके 100वें बरस में याद किया गया। कागज के फूल, प्यासा जैसी यादगार फिल्म देने वाले गुरुदत्त बहुत कम उम्र में ही इस दुनिया से चले गए, लेकिन उनकी फिल्मों के गीत हम आज तक गुनगुनाते हैं। ऐसे ही प्रतिभाशाली गायक जुबिन गर्ग भी कम उम्र में ही दुनिया से विदा हो गए। इन दोनों सितारों के गीतों के नाम यादगार शाम मनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

नाटक मेजोक ने बांधे रखा
परिसर में ज्योति डोगरा के लेखन और निर्देशन में 90 मिनट का मेजोक नाटक का मंचन हुआ। यह नाटक शारीरिक थिएटर की एक खोज है, जो गति, श्वास, ध्वनि और मानव शरीर की कच्ची अभिव्यक्ति का मिश्रण है। मेजोक उस इच्छा की प्रकृति की पड़ताल करता है, जो हमारे भीतर एक पहाड़ की तरह बसी हुई है। वह इच्छा, जो पहाड़ों को हिला देती और वह घाव जिसे कोई भीतर रखता है। एक मेज और पवित्रा कुमार इस प्रस्तुति के केंद्र में हैं। मेज लकड़ी के टुकड़ों से एक साथ जुड़े स्थानों की खोज के लिए एक माध्यम बन जाती है, जबकि पवित्रा कुमार सपनों और वास्तविकता, भाषा और लोरी, इच्छा और दूरियों के बीच एक साथ जुड़े स्थानों की खोज करते हैं। यह प्रस्तुति पहचान पत्र, घर के पते, लाइसेंस, पासपोर्ट नंबर, खाता संख्या, ब्लॉक नंबर, कमरे के नंबर, खिड़की के नंबर, टोकन नंबर जैसी निश्चित विशिष्टताओं से बंधी हुई अंतहीन लालसा और अंतहीन दूरियों को देखती है।

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