विचारशील मस्तिष्क

महापुरुष ईसा ने कहा है- कल की चिंता मत करो। पर इसका वास्तविक मर्म बहुत कम लोग समझते हैं। आप कहेंगे काल की चिंता कैसे न करें? हमारा परिवार है, हमारे बच्चों की शिक्षा, वस्त्र, भोजन, मकान की विषम समस्याएं हैं। कल हमें उनके विवाह करने हैं? क्या रुपया एकत्रित किए बिना काम चलेगा? हमें बीमा पालिसी में रुपया जोड़ना चाहिए? हमारी आज नौकरी लगी है कल छूट भी सकती है, आज हम स्वस्थ हैं कल बीमार पड़ेेंगे तो कैसे काम चलेगा? वृद्धावस्था में हमारा क्या होगा? इस प्रकार की बातें ठीक हैं।

एक विचारशील मस्तिष्क में ये विचार आने चाहिए। हमारा सुझाव है कि आप कल के लिए अपने आपको शक्तिशाली बनाने के लिए, योग्यतर, स्वस्थ आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होने के लिए नयी योजनाओ ंको कार्यान्वित करें। भावी जीवन के लिए जितना संभव हो तैयारी कीजिए। परिश्रम उद्योग मिलनसारी द्वारा समाज में अपना स्थान बनाइये। पर चिंता न कीजिए।

योजना बनाकर दूरदर्शिता पूर्ण कार्य करना एक बात है, चिंता करना दूसरी बात है। चिंता से क्या हाथ आवेगा। जो रही सही शक्ति और मानसिक संतुलन है, वह भी नष्ट हो जायेगा। चिंता तो आपको उत्साह, शक्ति और प्रसन्नता से पंगु कर देगी। जिस कठिनाई या प्रतिरोध को आप अपनी वयक्तिगत शक्तियों से बखूबी जीत सकते थे। पर्वत सदृश कठिन प्रतीत होगी। चिंता आपके सामने एक ऐसा अंधकार उत्पन्न करेगी कि आपको उस महान शक्ति केन्द्र का ज्ञान न रह जायेगा। जो आदिकर्ता परमेश्वर ने आपके अंग-प्रत्यंग में छुपा रख है। यु

द्ध बीमारी दिवाला य दुखद मृत्यु के अंधकार पूर्ण रुदन में, शुभ चिंतन और अशुभ चिंतन में केवल यह अंतर है। अच्छा विस्तार वह है जो कार्य करण के फल को तर्क की कसौटी पर परखता है। दूर की देखता है और किस कार्य में भविष्य में क्या फल होगा, इसका संबंध देखकर भावी उन्नति की योनजाएं निर्माण करता है। सृजनात्मक विचार भवी निर्माण में पुरानी गलतियों की सजा के अनुभवों और संसार की कठोरताओं को देखभाल कर अपनी उन्न्ति के लिए योजना प्रदान करता है।

अच्छे चिंतन में संग्रहित सांसारिक अनुभवों के बल उत्साह और आशा का शुभ आलोक है। कार्यनिष्ठा और साहस का बल है, शक्ति और कुशलता का पावन योग है। कार्य से भागकर नहीं, वरन गुत्थियों को सुलझाकर अपूर्व सहनशक्ति का परिचय देने का विधान है। बुरी विचारधारा का प्रारम्भ ही डर और घबराहट से होता है। कठिनाइयां आ रही हैं। हमें वह कार्य करना ही पड़ेगा, जो साधारणत: हमने नहीं किया है।

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