बुद्धेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है
लखनऊ। भगवान शिव की आराधना कर भक्ति से शक्ति हासिल करने का पवित्र सावन का महीना शुरू हो गया है। भगवान शिव की पूजा और अर्चना में अब भक्त पूरी तरह से लीन दिखाई देने लगे हैं। लखनऊ में भगवान शिव के अनेक चमत्कारी मंदिर बने हुए हैं। जहां पर सावन के महीने में शिव भक्त धूमधाम से दर्शन करते हैं। भगवान शिव के शिवालयों पर भक्तों का तांता दिखाई देता है। ऐसे ही शहर में एक मंदिर है जहां सोमवार को नहीं बल्कि बुधवार के दिन पूजा की जाती है। बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में आज बुधवार को भक्तों का तांता दिखायी देगा। भक्तों की सुविधा को देखते हुए मंदिर प्रसाशन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। बुद्धेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि अयोध्या वासियों ने माता सीता को भगवान राम से त्यागने के लिए कहा था। उस दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को यह आदेश दिया था कि तत्काल सीता को जंगल में छोड़ कर आएं। उसी दौरान लक्ष्मण आदेश का पालन करते हुए माता सीता को लेकर वन की तरफ चल दिए। चलते-चलते लखनऊ में स्थित बुद्धेश्वर नामक एक छोटा सा मंदिर दिखाई दिया, जहां उन्होंने माता सीता के साथ बैठकर विश्राम किया। उस दिन बुधवार का दिन था और लक्ष्मण इस बात से चिंतित थे कि माता के समान भाभी को आखिर वन में अकेले कैसे छोड़ा जाए.उस दौरान माता सीता गर्भवती थीं। तब बुद्धेश्वर महादेव ने लक्ष्मण को दर्शन दिए और यह सद्बुद्धि देते हुए कहा कि आप सीता को महर्षि बाल्मीकि आश्रम ले जाकर छोड़ दें। तभी माता सीता और लक्ष्मण ने बुद्धेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा की और वहां से चल दिए. जिस दिन यह घटना हुई थी, उस दिन बुधवार का दिन था। तभी से बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को भक्त पूजा करने लगे। श्रद्धालुओं का कहना है कि बुद्धेश्वर मंदिर में श्रद्धा सुमन के साथ जो भी भक्त यहां आकर भगवान महादेव के दर्शन करते हैं। भगवान उनकी सारी मनोकामना पूरी करते हैं। यह मंदिर लखनऊ के रेलवे स्टेशन चारबाग से करीब 12 किलोमीटर और रोडवेज आलमबाग बस स्टेशन से 10 किलोमीटर दूरी पर कानपुर बाईपास रोड पर स्थित है। भक्तगण बौद्धिक शांति और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए बुद्धेश्वर महादेव के मंदिर आकर दर्शन करते हैं।