पांच दिवसीय रंगमंच और कला का महोत्सव का समापन
लखनऊ। रूपांतर नाट्य मंच की ओर से रंग-ए-आवारगी महोत्सव का समापन रविवार को हुआ। आखिरी दिन संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में जावेद सिद्दीकी के लिए नाटक री-डेवलपमेंट का मंचन मशहूर निदेशक सलीम आरिफ के निर्देशन में देखने को मिला। नाटक दर्शकों को एक ऐसी यात्रा पर ले गया जहां विकास की चकाचौंध के बीच इंसानियत और रिश्तों की दरकती दीवारें साफ दिखने लगीं।
कहानी के मुख्य किरदार में लुबना सलीम का अभिनय नाटक की आत्मा बनकर उभरा। उनके संवाद, उनके हावभाव और उनकी खामोशियां सबने मिलकर ऐसा असर छोड़ा कि दर्शक अदाकारी से बंधे रहे। री -डेवलपमेंट सिर्फ ईंट-पत्थरों के ढहने और इमारतों के बनने की दास्तान नहीं थी, बल्कि यह हमारे समय का वह आईना थी जिसने यह प्रश्न खड़ा किया कि क्या विकास की दौड़ में हमने अपने जज्बात, अपनी जड़ें और अपने लोग कहीं पीछे तो नहीं छोड़ दिए। समापन पर निर्देशक सलीम आरिफ समेत नाटक की पूरी टीम को सम्मानित किया गया।
विनय शर्मा और वेदा राकेश प्रो. गिरीश रस्तोगी सम्मान
कला महोत्सव रंग-ए-आवारगी के अन्तिम दिन प्रो. गिरीश रस्तोगी सम्मान-2025 दिया गया। यह सम्मान निर्देशक, अभिनेता और लेखक विनय शर्मा और वेदा राकेश को दिया गया। दोनो विभूतियों को वरिष्ठ रंग निर्देशक सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ ने सम्मान दिया। इस मौके पर संस्था के सचिव निशिकांत पांडेय, रवि प्रताप सिंह, अपर्णेश मिश्र, मृदुला भारद्वाज, भारतेंदु कश्यप आदि मौजूद रहे।
षडज बैण्ड ने चलाया संगीज का जादू
कला महोत्सव रंग-ए-आवारगी में षडज बैण्ड से कई मधुर प्रस्तुतियां दीं। जिसमें सुरों और ताल का ऐसा संगम प्रस्तुत किया गया कि दर्शक झूम उठे। बैंड कलाकारों ने अपनी अनूठी धुनों और ऊजार्वान परफार्मेंस से न केवल मनोरंजन किया, बल्कि संगीत की विविधता और समृद्धि का भी शानदार परिचय कराया। कार्यक्रम ने कला प्रेमियों को जोड़ने और सांस्कृतिक धरोहर को और अधिक सशक्त बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।