एक बेहद ईमानदार कस्टम अधिकारी की कहानी है ‘कॉस्ताव’

नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपने रोल्स को शिद्दत से निभाने के लिए जाने जाते हैं
लखनऊ। देश की खातिर सीमा पर अपनी जान दांव पर लगाने वाले वर्दी वाले हीरोज की कहानियां हमने सिनेमाई पर्दे पर खूब देखी हैं। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि ओटीटी पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी देश की खातिर अपना सबकुछ दांव पर लगा देने वाले कस्टम अफसर कॉस्ताव फर्नांडिस की कहानी लेकर आए हैं। फिल्म की कहानी के मुताबिक, नब्बे के दशक में गोवा के समुद्र तट पर में सोने की तस्करी का सिलसिला पूरे जोर-शोर से जारी था। हालांकि कस्टम अधिकारी अपने खबरी की सूचना पर रेड मारते थे, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगता था। दरअसल, तस्करों को पहले ही रेड की सूचना मिल जाती थी। इसी बीच एक बेहद ईमानदार कस्टम अधिकारी कॉस्ताव फर्नांडिस (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) को सूचना मिलती है कि जल्द गोवा में 1500 किलो सोना तस्करी करके लाया जाने वाला है। आजाद भारत के इतिहास में इससे पहले इतनी बड़ी तादाद में सोने की तस्करी नहीं हुई थी। इस बार कॉस्ताव इसे पकड़ने के लिए रेड डालने से पहले की जाने वाली कागजी कार्रवाई नहीं करता, ताकि तस्करों को इसकी सूचना ना मिले। वह अपने मकसद में कामयाब हो जाता है, लेकिन इस दौरान हाथापाई के कारण नामी तस्कर डिमैलो (किशोर) के सगे भाई पीटर की मौत हो जाती है। लोकल पुलिस की अपराधियों से मिली-भगत के कारण न सिर्फ कॉस्ताव द्वारा रेड में पकड़ा गया सोना गायब हो जाता है, बल्कि रेड की कागजी कार्रवाई नहीं होने के कारण कॉस्ताव पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो जाता है। उसके बाद शुरू होता है एक ईमानदार अफसर की उस सिस्टम से जंग का सिलसिला, जिसके लिए उसने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। क्या कॉस्ताव इस जंग में कामयाब हो पाता है? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। फिल्म की डायरेक्टर सेजल शाह के कंधों पर कस्टम अफसर कॉस्ताव फर्नांडिस की दमदार कहानी पर फिल्म बनाने की जिम्मेदारी थी। लेकिन वह इसमें पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाईं। फिल्म की शुरूआत जोरदार तरीके से होती है, जो दर्शकों की दिलचस्पी जगाती है। लेकिन कॉस्ताव की मुश्किलों का दौर शुरू होने के साथ ही फिल्म की कहानी और पटकथा भी कमजोर पड़ जाती है। फिल्म का अंत भी उतना दमदार नहीं बन पड़ा है। बात अगर कलाकारों की एक्टिंग की करें, तो नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपने रोल्स को शिद्दत से निभाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस फिल्म में वह ईसाई कॉस्ताव का लहजा पकड़ने में चूक जाते हैं। कत्ल के इल्जाम में फंसने के बाद छिपते वक्त कई जगह वह ‘रमन राघव 2.0’ वाले अंदाज में भी नजर आते हैं। प्रिया बापट ने कॉस्ताव की पत्नी के रोल में अच्छा काम किया है, वहीं किशोर और गगन देव रियार भी अपने रोल में जंचे हैं। फिल्म का संगीत कुछ खास नहीं है। जबकि सिनेमटोग्रफी ठीकठाक है। अगर आप नवाजुद्दीन सद्दिीकी के बड़े फैन हैं और असल जिंदगी के एक ईमानदार अधिकारी की जिंदगी की कहानी से रूबरू होना चाहते हैं, तो इस फिल्म को घर बैठे जी 5 पर देख सकते हैं।

ऐक्टर:नवाजुद्दीन सिद्दीकी,प्रिया बापट,गगन देव रियार,किशोर कुमार जी.
डायरेक्टर : सेजल शाह
रेटिंग-2/5

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