प्रवासी साहित्यकार मधुरेश की कविताएं आम आदमी से संवाद करती है

हिंदी संस्थान के निराला सभागार में जाने अनजाने पदचिह्न का विमोचन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में लंदन में रह रहे प्रवासी साहित्यकार मधुरेश मिश्रा की किताब जाने अनजाने पदचिह्न का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ब्रिटेन के सांसद नवेंदु मिश्रा ने कहा कि यूके में मधुरेश मिश्रा की कविताएं खूब पसंद की जाती हैं। उनकी सहजता ही उनकी पहचान है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने किताब के अंश पढ़ते हुए कहा कि संग्रह की कविताएं पठनीय हैं एवं आम आदमी से संवाद करती हैं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अपर मुख्य सचिव, भाषा जितेंद्र कुमार ने कहा की मधुरेश की कविताओं में एक प्रवासी की पीड़ा है, उन्होंने ब्रिटेन में रहते हुए भी जड़ों को नहीं छोड़ा है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि पंकज प्रसून ने कहा कि संग्रह की सरल भाषा ही उसकी पहचान है। किताब के लेखक मधुरेश मिश्रा ने कहा की किताब ने बताया है कि पदचिह्न पर चलने से बेहतर है की पदचिह्न बनाये जायें।

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