तीन नवयुवकों की कहानी है नाटक ‘टेसू’

एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में हुआ मंचन
लखनऊ। दिव्य सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं सामाजिक संस्था की नवीनतम हास्य नाट्य प्रस्तुति टेसू का मंचन एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में किया गया। नाटक का लेखन व निर्देशन नरेन्द्र पंजवानी ने किया।
नाटक टेसू तीन नवयुवकों की कहानी है। तीनों ही पढ़े-लिखे हैं, तीनों अदभुत चरित्र है, पहला टेसू बात-बात पर शायरी करता है, दूसरा प्रभा जिसको नौकरी की बहुत चिंता है और खुद को सबसे स्मार्ट भी समझता है। तीसरा उदय जो सबसे अदभुत है और 24 घंटे में 20 घंटे सोता है, कभी-कभी बात करते-करते सो जाता है। तीनों ही नौकरी की तलाश में हैं, सारे फंडे अपनाते है पर नौकरी नही मिलती हैं, क्योंकि न तो इनके पास पैसा है न ही किसी बड़े आदमी की सिफारिश।
पड़ोसी ब्रह्मचारी जी आते हैं और तीनों को नौकरी के लिए अपने दोस्त का कार्ड देते है और उनसे कहते है कि इंटरव्यू की तैयारी करो। उसके बाद टेसू की फ्रेन्ड मधू जी आती है और बताती है कि टेसू नाटक बहुत अच्छा लिखता है अब इंटरव्यू की तैयारी छोड़कर नाटक की तैयारी करने लगते है। इसी बीच फिल्म निमार्ता का भेजा गया आदमी टेसू को फिल्म के लिए साइन करने के लिए घर आता है, टेसू से मुलाकात नहीं होती है तो कहता है कल शाम को 6 बजे आयेंगे तब साइनिंग एमाउण्ट देंगे। उसके ऊपर अपना प्रभाव डालने और उनके स्वागत की तैयारी में उदय अपनी अंगूठी और प्रभा अपनी घड़ी बेच देतां हैं। जब फिल्म निमार्ता का आदमी आता है तो उनकी बात ही नही सुनते बस उनको खिलाने-पिलाने में लग जाते है। बाद में जब कहता है कि मैं यह कहने आया था कि मेरी फिल्म कुछ दिन के लिए टल गयी है मैं आपसे बाद में मिलूंगा। तीनों को बहुत अफसोस होता है। अन्त में यही संदेश जाता है टेसू के फूल को जब तक अच्छे से उबाला नही जाता है तब तक, न तो वह रंग छोड़ता है, न ही खुशबू। इसी प्रकार नवयुवक भी जब तक अपने आप को मेहनत की भट्ठी में झोकेंगे नही तब तक सफलता उन्हें नही मिलेगी। सफलता का कोई शॉटकट नहीं होता है। नाटक में सूत्रधार आरती तिवारी, रामटेसू अनुराग शुक्ला ‘शिवा’, प्रभा शंकर तरूण यादव, उदय प्रकाश अक्षत ऋषि, नौकर डी.जी. संतोष प्रजापति, ब्रह्मचारी सागर मधू लंक्ष्मी निगम, भारतीय मनोज कुमार तिवारी ने निभायी।

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