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रचनाकार का व्यक्तित्व उसकी रचनाओं में परिलक्षित होता है : डॉ. शिवानी

कथाकार गौरापंत शिवानी एवं कवि अदम गोंडवी स्मृति समारोह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा कथाकार गौरापंत शिवानी एवं कवि अदम गोंडवी स्मृति समारोह के शुभ अवसर पर बुधवार को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार लखनऊ में किया गया।
दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त वाणी वंदना डॉ. कामिनी त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत की गयी।
अतिथि डॉ. प्रकाश चन्द्र गिरि, डॉ. शिवानी पाण्डेय का स्वागत स्मृति चिह्न भेंट कर आरपी सिंह, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया। डॉ. शिवानी पाण्डेय ने कहा रचनाकार का व्यक्तित्व उसकी रचनाओं में परिलक्षित होता है। रचनाकार शिवानी का घर किसी साहित्यिक केन्द्र से कम नहीं था। शिवानी को बाल्यकाल में पढ़ने का वातावरण उन्हें परिवार से ही मिला, जिसमें उनके माता-पिता का बड़ा योगदान रहा। उनका परिवार समाज सेवा की भावना से ओत-प्रोत रहा है। शिवानी ने बचपन में ही संस्कृत भाषा का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया था। शिवानी को बंग्ला भाषा व संगीत का काफी अच्छा ज्ञान था। शिवानी को रवीन्द्रनाथ टैगोर का काफी सानिध्य प्राप्त हुआ। शिवानी की रचना कृष्णकली में नृत्यकला के ज्ञान का रुपायन मिलता है। शिवानी ने विभिन्न धर्मों को आत्मसात किया। शिवानी के साहित्य में समन्वयवाद व शंवेदनशीलता के तत्व भी उपलब्ध हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शांति निकेतन में शिवानी को हिन्दी भाषा का प्रारम्भिक मार्गदर्शन किया। शिवानी के व्यक्तित्व पर बंकिमचन्द्र चटर्जी, अमृतलाल नागर व धर्मवीर भारती का काफी प्रभाव पड़ा।
डॉ. प्रकाश चन्द्र गिरि ने कहा अदम गोंडवी का जन्म एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था। अदम गोंडवी ने कम लेखन करके भी कालजयी रचनाकार बन गये। उनकी रचना समय से मुठभेड़ काफी चर्चित है। उनकी रचनाओं में संप्रेषणीयता के तत्व विद्यमान हैं। वे एक सिद्धहस्त रचनाकार थे। वे छन्दबद्ध शैली में रचना करते थे। अदम गोंडवी पर आज देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हो रहे हैं तथा पढ़ाये भी जा रहे हैं। गोंडवी जी की नज्मों में सामाजिक व्यवस्था व परिवेश के प्रति विद्रोह की झलक दिखायी पड़ती है। अदम गोंडवी की रचनाओं में उर्दू व फारसी के शब्द बहुतायत से मिलते हैं। वे काफी अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे। अदम ने अपनी गजजों में भूख और भुखमरी जैसी ज्वलंत समस्याओं को उजागर किया है। उनकी रचनाएं सत्ता को झकझोर देने वाली हंै। अदम जी ने समाज की दुर्दशा को देखा व अनुभव किया फिर उस पर अपनी लेखनी चलाई। अदम जी का व्यक्तित्व काफी सरल था। अदम जी बाहर से जितना सरल दिखायी देते थे अन्दर से विसंगतियों के प्रति अंगार से भरे भी थे।
शोद्यार्थियों/विद्यार्थियों में जितेन्द्र कुमार, देवेन्द्र सिंह, सौम्या मिश्रा, राहुल कुमार द्वारा गौरापन्त शिवानी की कहानियों एवं अदम गोंडवी जी की गजलों का पाठ किया गया। डॉ. अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उप्र हिन्दी संस्थान द्वारा कार्यक्रम का संचालन एवं संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों, विद्वत्तजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किया गया।

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