उपन्यास में लेखक ने परिस्थितियों को बड़े ही सूक्ष्म तरीके से दर्शाया है : प्रो.हरी शंकर मिश्र
लखनऊ। शतरंग प्रकाशन द्वारा प्रकाशित वरिष्ठ कथाकार महेश शर्मा के उपन्यास अंधेरे से उजाले की ओर का विमोचन प्रेस क्लब सभागार में किया गया है। इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार डॉ. मंजु शुक्ला ने उपन्यास की विवेचना प्रस्तुत करते हुए लेखक की कल्पना शक्ति और रोचक वर्णन के लिए प्रशंसा की। लेखक महेश शर्मा के उपन्यास अंधेरे से उजाले की ओर की पृष्ठभूमि, मध्यकाल में समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और ऊंच नीच की कुप्रथा तथा वर्तमान मे हो रहे सुखद परिवर्तन को लेकर उपन्यास का कथानक रचा है जो प्रशंसनीय है। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अमिता दुबे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लेखक महेश शर्मा ने अपनी प्रखर लेखनी से जनमानस को दिशा देने का सत्कार्य किया। मुक्तिनाथ झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लेखक महेश शर्मा ने उपन्यास के माध्यम से यह संदेश दिया है की हम सभी को पूर्वाग्रह छोड़ कर एक नए समरसता पूर्ण समाज की रचना मे जुट जाना चाहिए और वर्तमान मे समाज में ऐसे प्रयास हो भी रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो.हरीशंकर मिश्र ने कहा कि उपन्यास में लेखक ने समाज के रिश्तों, कर्तव्यों, परंपराओं और परिस्थितियों को बड़े ही सूक्ष्म तरीके से दर्शाया है, जिससे पाठक समाज के भीतर के मानसिक और नैतिक विवादों से भी परिचित हो पाता है। महेश शर्मा ने जब कथा के रूप में अंधेरे से उजाले की ओर को लिखा और हंस में प्रकाशन के बाद समाज को तोडने वाली शक्तियां लेखक के पीछे लामबंद हुई पर लेखक ने दृढ़ता के साथ समाज में व्याप्त प्रेम और सब के प्रति अनुराग की भावना का पुष्ट किया।कार्यक्रम में लेखक महेश शर्मा ने उपन्यास अंधेरे से उजाले की ओर की प्रेरणा के संस्मरण सुनाए और डॉ. गौरव शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।, शिव शरण सिंह, संदीप कुमार ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन सुरेन्द्र अग्निहोत्री ने किया।