ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि 25 को, बन रहे तीन शुभ योग

आराधना करने से साधक को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है
लखनऊ। हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। यह पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करने से साधक को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से यह अविवाहित युवक-युवतियों के लिए फलदायी होता है। इस व्रत को करने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति और विवाहित लोगों को वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 25 मई को दोपहर 3:51 बजे होगा और इसका समापन 26 मई को दोपहर 12:11 बजे होगा। इस दिन निशिता काल पूजा मुहूर्त 25 मई की रात 11:58 बजे से 12:39 बजे तक रहेगा। ऐसे में ज्येष्ठ माह की मासिक शिवरात्रि इस वर्ष 25 मई 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। दूध, दही, शहद, गंगाजल और बेलपत्र जैसी पवित्र वस्तुओं से भगवान शिव को स्नान कराकर आरती की जाती है। ऐसा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का अनुभव होता है।

3 शुभ योग में मई मासिक शिवरात्रि
इस साल मई मासिक शिवरात्रि पर 3 शुभ योग बन रहे हैं। उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग और शोभन योग बनेंगे. मासिक शिवरात्रि पर सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर दिन में 11 बजकर 07 मिनट तक रहेगा, उसके बाद से शोभन योग है, जो रात तक रहेगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 05 बजकर 26 मिनट से दिन में 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. उस दिन अश्विनी नक्षत्र 11:12 ए एम तक है, उसके बा से भरणी नक्षत्र है।

मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत और पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. शिव कृपा से व्यक्ति के रोग, दोष, संताप आ​दि मिटते हैं, जिस पर महादेव की कृपा हो जाती है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धन, सुख, समृद्धि में भी बढ़ोत्तरी होती है. मासिक शिवरात्रि पर आप शिव मंत्रों का जाप करके सिद्ध कर सकते हैं। इस दिन रुद्राभिषेक करा सकते हैं।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा अर्धरात्रि में की जाती है। इस दिन शिवभक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। पीपल और तुलसी के पेड़ में भी इस दिन जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद आपको भगवान शिव का नाम लेकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए फिर अर्धरात्रि में भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए। रात के समय में ही आपको भोलेनाथ की मूर्ति पर दूध, पानी और गंगाजल से स्नान कराइए। इस दौरान भगवान शिवजी के महामंत्र ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए दूध, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा, सृजन के पुष्प से अभिषेक करें। फिर आप चंदन से भगवान शिव का तिलक करिए और अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।

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