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सेना के पराक्रम से मिला भारत की ताकत का संदेश, विस्तार वाद का युग खत्म : मोदी

नई दिल्ली/लेह। लद्दाख क्षेत्र को 130 करोड़ भारतीयों के मान-सम्मान का प्रतीक करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना ने जो पराक्रम दिखाया, उससे दुनिया को भारत की ताकत का संदेश मिल गया। साथ ही उन्होने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और यह युग विकासवाद का है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में भारतीय सेना के जवानों को संबोधित करते हुए यह बात कही।

इससे पहले आज मोदी ने अचानक लेह पहुंच कर वहां सैनिकों का मनोबल बढ़ाया। भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री का यह दौरा काफी महत्व रखता है। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा, कमजोर कभी शांति की पहल नहीं कर सकता और वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है। प्रधानमंत्री ने कहा, लद्दाख का ये पूरा हिस्सा, भारत का मस्तक है। 130 करोड़ भारतीयों के मान सम्मान का प्रतीक है। यह भूमि भारत के लिए सर्वस्व त्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहने वाले राष्ट्रभक्तों की धरती है।

उन्होंने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प का संकेत करते हुए कहा, आपने और आपके साथियों ने जो वीरता दिखाई है, उसने पूरी दुनिया में यह संदेश दिया है कि भारत की ताकत क्या है। उन्होंने कहा, देश के वीर सपूतों ने गलवान घाटी में जो अदम्य साहस दिखाया है वह पराक्रम की पराकाष्ठा है। देश को आप पर गर्व है, नाज है।

उल्लेखनीय है भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। अनुमान है इसमें चीन के भी कई सैनिक हताहत हुए किंतु इस बारे में चीन की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया।

उन्होंने कहा, विस्तार वाद का युग समाप्त हो चुका है। यह युग विकासवाद का है। तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है। विकासवाद के लिए अवसर है और विकासवाद भविष्य का आधार भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा अहित किया और मानवता के विनाश का प्रयास किया।

उन्होंने कहा, विस्तारवाद की जिद किसी पर सवार हो जाती है तो उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है। और यह न भूलें इतिहास गवाह है। ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुडऩे को मजबूर हो गई है। मोदी ने कहा, विश्व का हमेशा यही अनुभव रहा है और इसी अनुभव के आधार पर अब इस बार फिर से पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है।

आज विश्व विकासवाद को समर्पित है और विकासवाद की स्पर्धा का स्वागत कर रहा है। सिंधु नदी के तट पर 11,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है। यह जंस्कार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। प्रधानमंत्री यहीं से सैनिक को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हर आक्रमण के बाद भारत और सशक्त होकर उभरा है। दुनिया की और मानवता की प्रगति के लिए शांति और मित्रता हर कोई स्वीकार करता है। हर कोई मानता है कि यह जरूरी है। मोदी ने यह भी याद दिलाया, लेकिन ए भी जानते हैं कि शांति निर्बल कभी नहीं ला सकता है। कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकता। वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है।

जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए मोदी ने कहा, आपकी जीवटता भी दुनिया में किसी से भी कम नहीं है। इन कठिन परिस्थितियों में जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बनकर के उसकी रक्षा करते हैं, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता है।

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