प्रकृति से जोड़ना प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य : प्रो. मांडवी सिंह

भातखण्डे में वृक्ष और वनस्पति का मानव जीवन के लिए उपयोग विषय पर प्रदर्शनी शुरू
कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने किया उद्धघाटन, एनबीआरआई व आईआईटीआर के वैज्ञानिकों ने रखे विचार
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2025 के उपलक्ष्य में भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा पर्यावरण संरक्षण, वृक्षों की उपयोगिता एवं प्रकृति से मानवीय संबंधों को रेखांकित करने हेतु वृक्ष और वनस्पति का मानव जीवन के लिए उपयोग विषय पर आधारित दो दिवसीय ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन एवं उद्घाटन उद्बोधन के साथ हुआ। इस अवसर पर उन्होंने प्रदर्शनी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति, संगीत एवं कलाओं के संवर्धन हेतु समर्पित है, वह प्रकृति एवं जीवन के अन्य अंगों के साथ संतुलन स्थापित करने की दिशा में भी कृतसंकल्प है। वृक्षों और वनस्पति का हमारे सांस्कृतिक और शारीरिक जीवन में जो योगदान है, उसे समझना और छात्रों को उससे जोड़ना इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य है।
इस आयोजन में सीएसआईआर-एनबीआरआई और सीएसआईआर-आईआईटीआर लखनऊ ने सक्रिय सहयोग किया। इन संस्थानों द्वारा प्रस्तुत वृक्षों की संरचनात्मक, औषधीय एवं पारिस्थितिकीय उपयोगिता पर आधारित वैज्ञानिक मॉडल्स ने आगंतुकों को अत्यंत प्रभावित किया। कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने इन मॉडलों का गहन अवलोकन करते हुए वैज्ञानिकों से संवाद कर विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने अपने विद्वतापूर्ण व्याख्यान में बताया कि कैसे वनस्पतियों पर किए जा रहे वैज्ञानिक शोध न केवल औषधीय खोजों के लिए उपयोगी हैं, बल्कि जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक हैं। उन्होंने भारत सरकार द्वारा संचालित हरित भारत अभियान, मिशन लाइफ जैसी पर्यावरणीय पहलों की जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने एक रोचक विषय पर भी प्रकाश डाला संगीत और पौधों के बीच संवाद, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार ध्वनि कंपन पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं, जो संगीत और प्रकृति के बीच एक गूढ़ संबंध को दशार्ता है।
आईआईटीआर के वैज्ञानिक डॉ. अभय राज ने प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मानव जीवन तभी सुरक्षित रह सकता है जब वह प्रकृति से संतुलन बनाए रखे। पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारी नीति का विषय नहीं है, बल्कि यह व्यक्तिगत व्यवहार और सामूहिक चेतना से जुड़ा हुआ कार्य है। उन्होंने पेड़ों की भूमिका पर वैज्ञानिक उदाहरण प्रस्तुत किए और श्रोताओं को सरल भाषा में बताया कि कैसे हम अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे कदमों से पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। प्रदर्शनी के दौरान विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, संकाय सदस्यों, शोधार्थियों एवं आगंतुकों ने वैज्ञानिकों से सीधे संवाद किया। उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर वक्ताओं ने सटीक वैज्ञानिक उत्तर दिए, जिससे उपस्थित जनसमूह का ज्ञानवर्धन हुआ। यह प्रदर्शनी 20 जून 2025 को दोपहर 2:00 बजे तक आम जनता, छात्रों, शोधकतार्ओं और सभी पर्यावरण प्रेमियों के लिए नि:शुल्क रूप से खुली रहेगी। डॉ. सृष्टि धवन, कुलसचिव, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय ने प्रदर्शनी के संदर्भ में कहा यह आयोजन केवल एक शैक्षणिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह हमारे विद्यार्थियों और जनमानस को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने, पर्यावरणीय चेतना जगाने और वृक्षारोपण व संरक्षण के लिए प्रेरित करने का माध्यम है। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय भविष्य में भी इस प्रकार की प्रकृति-आधारित शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करता रहेगा। कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने सीएसआईआर-एनबीआरआई, सीएसआईआर-आईआईटीआर, अतिथि वक्ताओं, उपस्थित शोधार्थियों, शिक्षकगण, छात्रों एवं आयोजन टी हार्दिक आभार व्यक्त किया। यह आयोजन न केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि रहा, बल्कि यह भारतीय संस्कृ पर्यावरण चेतना के संगम का प्रतीक बनकर उभरा। विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत यह पहल आने वाली पीढ़ियों क के संरक्षण हेतु दिशा देने वाला एक आदर्श उदाहरण है।

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