श्रद्धा पूर्वक मनाया गया गुरु हरकिशन साहिब जी का प्रकाश पर्व

लखनऊ। ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी यहियागंज में आज शाम 7:00 बजे से 11:00 बजे तक श्री गुरु हरकिशन साहिब जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा एवं उल्लास पूर्वक मनाया गया। गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि डॉक्टर गुरमीत सिंह के संयोजन में इस अवसर पर विशेष रूप से मुंबई से आए भाई प्यारा सिंह जी ने शबद कीर्तन द्वारा सगंतो को निहाल किया। गुरु हरकिशन साहब जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए ज्ञानी परमजीत सिंह सिंह ने बताया कि गुरू हर किशन साहिब जी का जन्म सावन वदी 10 बिक्रम सम्वत 1713(७ जुलाई ) को कीरतपुर साहिब में हुआ। वे गुरू हर राय साहिब जी के दूसरे पुत्र थे। 8 वर्ष की अल्प आयु में गुरू हर किशन साहिब जी को गुरुपद प्रदान किया गया। गुरु हर राय जी ने १६६१ में गुरु हरकिशन जी को अष्ठम् गुरू के रूप में स्थापित किया।
गुरसिखों एवं राजा जय सिंह के बार-बार आग्रह करने पर वो दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गएइसके बाद पंजाब के सभी सामाजिक समूहों ने आकर गुरू साहिब को विदायी दी। उन्होंने गुरू साहिब को अम्बाला के निकट पंजोखरा गांव तक छोड़ा। इस स्थान पर गुरू साहिब ने लोगों को अपने अपने घर वापिस जाने का आदेश दिया। गुरू साहिब अपने परिवारजनों व कुछ सिखों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुये। परन्तु इस स्थान को छोड़ने से पहले गुरू साहिब ने उस महान ईश्वर प्रदत्त शक्ति का परिचय दिया। लाल चन्द एक हिन्दू साहित्य का प्रखर विद्वान एव आध्यात्मिक पुरुष था जो इस बात से विचलित था कि एक बालक को गुरुपद कैसे दिया जा सकता है। उनके सामर्थ्य पर शंका करते हुए लालचंद ने गुरू साहिब को गीता के श्लोकों का अर्थ करने की चुनौती दी। गुरू साहिब जी ने चुनौती सवीकार की। लालचंद अपने साथ एक गूँगे बहरे निशक्त व अनपढ़ व्यक्ति छज्जु झीवर (पानी लाने का काम करने वाला) को लाया। गुरु जी ने छज्जु को सरोवर में सनान करवाकर बैठाया और उसके सिर पर अपनी छड़ी इंगित कर के उसके मुख से संपूर्ण गीता सार सुनाकर लाल चन्द को हतप्रभ कर दिया। इस स्थान पर आज के समय में एक भव्य गुरुद्वारा सुशोभित है जिसके बारे में लोकमान्यता है कि यहाँ स्नान करके शारीरिक व मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है। जब गुरू साहिब दिल्ली पहुंचे गुरू साहिब को राजा जय सिंह के महल में ठहराया गया। सभी धर्म के लोगों का महल में गुरू साहिब के दर्शन के लिए तांता लग गया। बहुत ही कम समय में गुरू हर किशन साहिब जी ने सामान्य जनता के साथ अपने मित्रतापूर्ण व्यवहार से राजधानी में लोगों से लोकप्रियता हासिल की। इसी दौरान दिल्ली में हैजा और छोटी माता जैसी बीमारियों का प्रकोप महामारी लेकर आया। मुगल राज जनता के प्रति असंवेदनशील थी। जात पात एवं ऊंच नीच को दरकिनार करते हुए गुरू साहिब ने सभी भारतीय जनों की सेवा का अभियान चलाया। खासकर दिल्ली में रहने वाले मुस्लिम उनकी इस मानवता की सेवा से बहुत प्रभावित हुए एवं वो उन्हें बाला पीर कहकर पुकारने लगे। जनभावना एवं परिस्थितियों को देखते हुए औरंगजेब भी उन्हें नहीं छेड़ सका। दिन रात महामारी से ग्रस्त लोगों की सेवा करते करते गुरू साहिब अपने आप भी तेज ज्वर से पीड़ित हो गये। छोटी माता के अचानक प्रकोप ने उन्हें कई दिनों तक बिस्तर से बांध दिया। जब उनकी हालत कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गयी तो उन्होने अपनी माता को अपने पास बुलाया और कहा कि उनका अन्त अब निकट है। जब उन्हें अपने उत्तराधिकारी को नाम लेने के लिए कहा, तो उन्हें केवल बाबा बकाला’ का नाम लिया। यह शब्द केवल भविष्य गुरू, गुरू तेगबहादुर साहिब, जो कि पंजाब में ब्यास नदी के किनारे स्थित बकाला गांव में रह रहे थे, के लिए प्रयोग हुआ था। कार्यक्रम की समाप्ति पर मिष्ठान प्रसाद एवं गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया।

शबद कीर्तन सुन संगत हुई निहाल
लखनऊ। गुरु हरकृष्ण साहिब जी महाराज के प्रकाश पर्व पर अध्यक्ष सरदार सम्पूरन सिंह बग्गा ने बताया कि दीवान की आरंभता अमृत वेले से नितनेम, सुखमनी साहिब जी के पाठ के साथ हुई पाठ संगत ने मिलकर किए हजूरी रागी भाई रविंदर सिंह जी ने आशा दीवार के कीर्तन किए । हैड ग्रंथि ज्ञानी परमजीत सिंह जी ने संगत को गुरु हरकृष्ण सहिब महाराज जी के इतिहास के बारे में बताया । हजूरी रागी भाई रविंदर सिंह जी ने शब्द कीर्तन करते हुए दीवान की समाप्ति की उपरांत अध्यक्ष सरदार सम्पूरन सिंह बग्गा एवं महासचिव चरणजीत सिंह एवं सचिव गगनदीप सिंह बग्गा एवं सभी वरिष्ठ कमेटी सदस्यों इकबाल सिंह, परमजीत, सुरिंदर बग्गा देवेंदर पाल सिंह ने संगतो को गुरु हरकृष्ण साहिब महाराज के प्रकाश पर्व की बधाई दी । दीवान की समाप्ति उपरांत गुरु का लंगर अटूट वितरित किया गया । मीठे खीर एवं लड्डूओ एवं समोसे के लंगर अटूट वितरित किए गए । बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरु हरकृष्ण साहिब महाराज जी के प्रकाश पर्व को बहुत ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया।

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