बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा
लखनऊ। सावन माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह दिन पूर्णतया भगवान शिव और देवी मां पार्वती को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि सृष्टि के रचयिता भगवान शिव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही सभी प्रकार के रोग, दोष, दुख और भय दूर हो जाते हैं। साधक प्रदोष व्रत के दिन श्रद्धा भाव से बाबा की पूजा करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, 06 अगस्त को भारतीय समयानुसार दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत होगी। वहीं, 07 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन होगा। सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पूजा का शुभ समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट तक है। इस लिए इस बार प्रदोष व्रत 6 अगस्त को मनाया जायेगा। जानकारों की मानें तो प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। बुध प्रदोष व्रत करने से साधक की मनोकामना पूरी होती है। साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। बुध के मजबूत होने से कारोबार संबंधी परेशानी दूर होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृ्द्धि होती है।
बुध प्रदोष व्रत शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव कैलाश पर देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पूजा-विधि:
भगवान शिव को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। आसन बिछाकर भोलेनाथ की ओर मुख कर बैठ जाएं। पूजा की सामग्री वस्त्र, जनेऊ, गंगाजल, पुष्प चंदन, साबुत चावल, धूप, दीपक, बेल पत्र, धतूरे का फल और पुष्प, दूर्वा, तुलसी पत्ते, फल व मिठाई अपने पास रख लें। पंचामृत में दूध, दही, देसी घी, शहद और शक्कर का मिश्रण करें। इन पांच वस्तु में यदि किसी एक वस्तु का अभाव हो तो गंगाजल का इस्तेमाल करें। मन में भगवान शिव का ध्यान करते हुए पूजा शुरू करें। सर्वप्रथम जलाभिषेक कर शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाएं। इसके पश्चात पुष्प अर्पित करें और पंचामृत से स्नान कराएं। धूप बत्ती और दीपक से भगवान की आरती उतारें। पात्र में रखकर भगवान को मिठाई और फल आदि अर्पित कर दक्षिणा चढ़ाएं। शिव मंदिर की आधी परिक्रमा करें। एकांत स्थान में बैठकर ऊ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें।