भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है
लखनऊ। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक समय माना गया है। यह मास भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और साधना का विशेष अवसर होता है। ऐसा विश्वास है कि इस महीने में किया गया हर धार्मिक कार्य चाहे वह व्रत हो, पूजा-पाठ हो या तीर्थ-स्नान साधारण दिनों की तुलना में कहीं अधिक फलदायी होता है। खासतौर पर ब्राह्म मुहूर्त में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्राप्त होता है। कार्तिक स्नान का आरंभ 8 अक्तूबर, बुधवार से हुआ है वहीं कार्तिक स्नान का समापन 5 नवंबर 2025, बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के साथ होगा। यह दिन इस मास का सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम स्नान तिथि मानी जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान, दीपदान और भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस मास की एक खास बात यह भी है कि इसे भगवान विष्णु का प्रिय मास कहा गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक महीने में भगवान विष्णु स्वयं जल में निवास करते हैं, इसलिए इस समय जल में स्नान करना अत्यधिक पुण्यदायी माना गया है। गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष फल मिलता है। साथ ही तुलसी पूजा, दीपदान, व्रत-उपवास और सत्संग आदि कर्मों का भी विशेष महत्व है। संपूर्ण कार्तिक मास आत्मशुद्धि, संयम और ईश्वर भक्ति का उत्तम समय माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का विशेष महत्व होता है और इसे वर्ष का सबसे पुण्यदायी स्नान कहा गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान, ध्यान और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा स्नान का शुभ मुहूर्त 5 नवंबर सुबह 4:52 बजे से 5:44 बजे तक है। यह समय विशेष रूप से अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुलता है। इसके अलावा, दैनिक ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:30 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा, जो स्नान, जप, ध्यान और पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। इस दौरान श्रद्धा और भक्ति से किया गया कोई भी धार्मिक कार्य कई गुना फलदायी होता है।
कार्तिक स्नान की सही विधि
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह लगभग 4 से 6 बजे के बीच) में उठें। संभव हो तो किसी पवित्र नदी, सरोवर या तीर्थस्थल में स्नान करें। यदि बाहर जाना संभव न हो, तो घर पर स्नान के पानी में थोड़ी मात्रा में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए यह संकल्प लें।
स्नान के बाद स्वच्छ और साफ वस्त्र पहनें। फिर भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और तुलसी माता की श्रद्धापूर्वक पूजा करें। प्रतिदिन तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं और आरती करें।
कार्तिक स्नान के प्रमुख लाभ
जाने-अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है। मोक्ष प्राप्ति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण साधना मानी जाती है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। नियमित स्नान से शरीर निरोगी रहता है और मन को शांति मिलती है। प्रतिदिन पूजा-पाठ और नियम से जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है। जीवन में सकारात्मकता और धर्म के प्रति आस्था गहराती है।





