भरत रंग नाट्य संस्था की ओर से नाटक का मंचन
लखनऊ। भरत रंग नाट्य संस्था की ओर से नाटक रानी रूपमती का मंचन संत गाडगे जी महराज प्रेक्षागृह में किया गया। चन्द्रभाष सिंह द्वारा निर्देशित इस नाटक में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आधार रानी रूपमती और बाज बहादुर की अधूरी प्रेम कहानी से परिचित कराया।
नाटक रानी रूपमती, विध्याचल की सुरम्य पर्वत श्रृंखला में सुप्रसिद्ध दुर्ग मांडवगढ़ की प्रेम कहानी इतिहास के गवाक्ष से झाकती अद्भुत संगीत को समर्पित कथा है। यह नाटक रानी रूपमती व सुल्तान बाज बहादुर की अधूरी प्रेम कहानी है जिसका कारण बना बादशाह अकबर। बायजीद खान जिसे लोग बाज बहादुर कहते थे मालवा का सुल्तान तथा रूपमती धर्मपुर के राजा यदुराय परगार की पुत्री थी। रूपमती मां नर्मदा की समर्पित उपासिका व अपनी प्रजा के हित व मंगल के प्रति प्रतिबद्ध है। बाज बहादुर व रूपमती के प्रेम का आधार व संवाहक संगीत है। दोनों ही उच्च कोटि के कलाकार हैं, प्रेम की पवित्रता गंभीरता व मयार्दा का पालन करते हैं
राग-रागनियों की छाया में दोनों का प्रेम फलता फूलता है। सामाजिक ताने बाने को बुनती कहानी की आत्मा संगीत ही है। रूपमती, जो रानी रूपमती के दायित्व को निगाती है, और मां नर्मदा के प्रति अपनी आस्था, प्रजा का कल्याण तथा प्रजा की संपन्नता का धर्म नहीं छोड़ती। संगीत साधिका के साथ-साथ रानी रूपमती मां नर्मदा की उपासिका भी है, जो कि माँ नर्मदा के दर्शन व पूजन किये बिना अन्न-जल तक ग्रहण नहीं करती। सत्ता की भूख, षड्यंत्र, छल व विश्वासघात की राजनीति के कारण यह प्रेम कथा अनेक करवटें बदलती है। 15वीं शताब्दी की यह संगीतमयी प्रेम कहानी इतिहास के कई पृष्ठ खोलती है। सम्राट अकबर, महान संगीतज्ञ तानसेन, बाज बहादुर के पिता सुजात खान, बैरम खान, अदहम खान आदि अनेक प्रसिद्ध पात्रों के साथ घटनाक्रम इस तरह घूमता है कि संगीत को दिलो जान से भी अधिक प्रेम करने वाले दो प्रेमी अपना संपूर्ण बलिदान दे देते हैं। रह जाती है अधूरी प्रेम कहानी… रानी रूपमती। संगीत, प्रेम, युद्ध, साजिश के माध्यम से पूरी कहानी को मंच पर कलाकारों ने साकार किया। मंच पर जूही कुमारी, बृजेश कुमार चौबे, निहारिका कश्यप, सुन्दरम मिश्रा, प्रणव श्रीवास्तव, करन दीक्षित, कोमल प्रजापति, अनामिका रावत, अभय प्रताप सिंह, शशांक तिवारी, पीयूष राय, श्रेयांश यादव, प्रदीप मिश्रा, जौरेज कलीम, शुभम कुमार, कंचन शर्मा आदि ने बेहतरीन भूमिका निभाई।