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महानाट्य ‘जाणता राजा’ ने दी राष्ट्र धर्म और राजधर्म की शिक्षा

मुगल शासक ने शिवाजी की तारीफ करते हुए कहा वाह ! योद्धा और वीर हो तो शिवाजी जैसा

नाटक जाणता राजा के मंचन को चौथा दिन

लखनऊ। छत्रपति शिवाजी ने राजा बनने के समय शपथ लेते हुए कहा कि यह पृथ्वी मेरी पत्नी है और यह प्रजा मेरी संतान है] राजा होने के नाते मैं इसका पालन पोषण और संरक्षण करूंगा। अगर मेरे कर्तव्य पालन में कोई गलती होती है तो मैं स्वयं राज्य का त्याग कर दूँगा।
गोमतीनगर के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य ष्ष्जाणता राजाष्ष् के मंचन से हजारों दर्शकों को राष्ट्रधर्म और राजधर्म दोनों की शिक्षा देना का प्रयास किया। कार्यक्रम के चौथे दिन रविवार को राजधानी सहित आस.पास के विभिन्न जिलों से दर्शकों ने इस विशाल नाट्य के देखा।
राष्ट्र धर्म से ओतप्रोत इस महानाट्य में रिकॉर्डेड संवाद पर में शिवाजी ने कहा कि जो व्यक्ति चरित्रवान, नैतिक और राष्ट्र भक्त है वही वास्तव में राजा होने का अधिकारी होता है। उन्होंने ने अपनी मां साहब जीजाबाई को वचन दिया कि मैं अपनी प्रजा और सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए स्वराज की स्थापना करूंगा इसके लिए चाहे मुझे अपने प्राणों का बलिदान भी क्यों न देना पड़े। माता जीजाबाई के आदर्श और संस्कारों से ओतप्रोत होकर शिवाजी एक शक्तिशाली राजा साबित होते हैं।


मंचन के दौरान मुगल शासक ने अपने सभी सेनापतियों और सरदारों को फटकार लगाते हुए नसीहत दी कि इस समुद्र जैसी मुगल सेना को एक शिवाजी ने अपनी छोटी सेना से छिन्न.भिन्न कर दिया और तुम लोग पीठ दिखाकर भागे। उसने कहा लानत है तुम लोगों की वीरता पर। मुगल शासक ने शिवाजी की तारीफ करते हुए कहा कि वाह ! योद्धा और वीर हो तो शिवाजी जैसा। इस तीन घंटे के मंचन को देख रहे हजारों दर्शक झूम उठे और बीच.बीच में जय भवानी.जय शिवाजी के नारों से पंडाल गूंजने लगा। दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर आयोजित इस महानाट्य के चौथे दिन के मुख्य अतिथि आरपीएन सिंह थे। इस अवसर पर न्यायमूर्ति बृजराज सिंहए महेश चन्द्र चतुवेर्दीए विमल श्रीवास्तवए राकेश शर्मा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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