लखनऊ। श्रमिको को लॉकडाउन में उनके जिलो के अन्दर छोड़ने की जिम्म्मेदारी परिहवहन निगम के चालक-परिचाल के ऊपर है। प्रतिदिन 300 से अधिक बसों से मजदूरों को उनके जिले में भेजा जा रहा है। जिसमें सैकड़ो चालक-परिचालक अपनी जान जोखिम में डालकर इन बसो को चलाने का कार्य कर रहे है। इसके बदले में न ही इनको समय से खाना मिल रहा है और न ही मास्क और सेनेटाइजर दिया जा रहा है।
सोमवर को चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर लगभग 200 से अधिक बस जिलो मे श्रमिको को ले जाने के लिए खड़ी थी। अपना नम्बर आने के इंतजार में बाहर बैठक बात कर रहे थे। बांदा श्रमिको को ले जाने के लिए बस चालक राम नरेश ने बताया कि बस जाने के समय तो खाना दिया जाता है पर बस जहां भी पहुंती है वहां पर खाना नही मिलता है फिर भी बस को लखनऊ बिना खाये आना पड़ता है।
उन्होने बताया कि मास्क तक नही दिया जा रहा है। सेनेटाइजर के नाम पर बस को चलाने से पहले एक बार दिया जाता है उसके बाद नही मिला ता है। श्रमिको को सिर्फ छोडने जिम्मेदारी रहती है फिर बस को बस स्टाप पर ले जा कर खड़ा करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि रास्ते में कुछ भी खाने को नही मिलता है। पानी कि बोतल रखी रहती है जिससे रास्ते भर काम चलता रहता है।