एसएनए के वाल्मीकि सभागार में हुआ नाटक का मंचन
लखनऊ। थियेट्रान प्रस्तुति नाटक कसप का मंचन एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में किया गया। नाटक का लेखन मनोहर श्याम जोशी व निर्देशन पुरुषोत्तम शाक्य ने किया।
ये कहानी है अनाथ, सुशील, सहित्यनिष्ट, कथाकार, उपन्यासकार, देवीदत्त उगी डीडी की जो बॉम्बे फिल्म जगत में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है, और अल्हड़, खिलंदर, मस्तमौला बेबी उर्फ़ मैत्रेय जो अल्मोड़ा पहाड़ों की रहने वाली है, इनके असफल प्रेम की है। दोनो की मुलाकात होती है एक शादी के जनवासे में, और फिर नायक को एकदम से और नायिका को धीरे धीरे से, हँसी मजाक और खिलंदरी करते करते प्यार हो जाता है नायक से। लड़का अनाथ, कुछ खास करता नहीं, खास आमदनी भी नहीं, भला ऐसे में कोई परिवारजनों पसंद करे भी तो कैसे? पर प्रेमी प्रेमिका कहाँ मानने वाले थे.. उनकी जिÞद के आगे झुकना पड़ा बेबी के माता पिता को और तय हो गयी दोनो की शादी। पर फिर नायक पे सवार होती है धुन अमेरिका जा कर कुछ बनने की, और उसको अमेरिकी विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर आगे फिल्म बनाने की पढ़ाई करने को उत्प्रेरित करती है फ्रांसीसी प्रडूसर गुलनार, जिसके साथ वो एक प्रोजेक्ट में काम कर चुका था। बेबी को उसके अमेरिका जाने की बात समझ में आती नहीं, खास कर के जब उसने उसे पा लिया है, उनकी जिÞन्दगी अब साथ गुजरने वाली है, एक हो कर। वो उसे रोकने की कोशिश करती है, पर असफल होने पर खत्म कर देती है उससे रिश्ता । बेबी जिसने आपने आप को डि डि का व्याहता मान लिया था, अब अपने आप को विधवा मान बेबी से मैत्रेय, विदुषी मैत्रेय, बनने की राह पर अग्रसर हो जाती है, खो देती है अपने आप को किताबों और पठन पाठन में। वैसे, क्या जो भी फैसले उन दोनों ने लिए, वो सुख दे पाए दोनों को, इसका जवाब ही है उपन्यास का शीर्षक, ‘कसप'( ये एक कुमाऊनी शब्द, जिसका अर्थ है, ‘क्या मालूम। नाटक में अहम भूमिका ज्योति पांडे, चारू शुक्ला, काजल वर्मा, ओशन वत्स, अनुपम मलहोत्रा, हर्ष पाल, रोहित, सोनी पाल, पंकज, काजल, पुरुषोत्तम, मानसी जयसवाल और देवांग ने निभायी।