‘द दिल्ली फाइल्स’ का नाम बदला गया, अब ‘द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ’ के नाम से होगी रिलीज़

पब्लिक डिमांड पर बदला गया फिल्म का नाम: अब ‘द दिल्ली फाइल्स’ नहीं, ‘द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ’

मुंबई:
निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की चर्चित “फाइल्स” ट्रिलॉजी की तीसरी फिल्म अब नए नाम के साथ दर्शकों के सामने आने को तैयार है। पहले जहां इस फिल्म को ‘द दिल्ली फाइल्स: द बंगाल चैप्टर’ के रूप में पेश किया जा रहा था, वहीं अब इसे ‘द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ’ के नाम से रिलीज़ किया जाएगा। यह बदलाव खासतौर पर जनता की मांग (पब्लिक डिमांड) पर किया गया है।

फिल्म 5 सितंबर 2025 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।

1940 के दशक के बंगाल पर आधारित है कहानी

यह फिल्म 1940 के दशक में बंगाल में हुए भीषण सांप्रदायिक दंगों पर केंद्रित है — जिसमें डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखाली दंगों जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को दिखाया गया है। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के अनुसार, यह कहानी भारतीय इतिहास के उस अध्याय को उजागर करती है, जिसे अब तक बड़े स्तर पर अनदेखा किया गया है।

वह इस फिल्म के ज़रिए इन घटनाओं को “हिंदुओं के नरसंहार” के रूप में सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं।

जबरदस्त स्टारकास्ट और चुनौतीपूर्ण शूटिंग

फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार जैसे अनुभवी कलाकार महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं। शूटिंग के दौरान सुरक्षा कारणों के चलते कोलकाता के बजाय मुंबई में फिल्मांकन किया गया।

फिल्म का निर्माण अभिषेक अग्रवाल, पल्लवी जोशी और विवेक अग्निहोत्री ने मिलकर किया है। यह प्रोजेक्ट तेज नारायण अग्रवाल और I Am Buddha प्रोडक्शंस के बैनर तले बनाया गया है।

टीज़र ने मचाई थी हलचल

कुछ समय पहले रिलीज़ हुए फिल्म के टीज़र में मिथुन चक्रवर्ती का फर्स्ट लुक काफी चर्चा में रहा था। उन्हें एक सुनसान कॉरिडोर में सफेद दाढ़ी और थके चेहरे के साथ चलते हुए दिखाया गया था, जहां वे जली हुई ज़ुबान से भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हैं। इस सीन ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया बटोरी।

ट्रिलॉजी की तीसरी फिल्म

‘द बंगाल फाइल्स: राइट टू लाइफ’ दरअसल विवेक अग्निहोत्री की “फाइल्स ट्रिलॉजी” की तीसरी और अंतिम किस्त है। इससे पहले ‘द ताशकंद फाइल्स’ (2019) और ‘द कश्मीर फाइल्स’ (2022) को दर्शकों से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी।

अब देखना यह है कि विवेक अग्निहोत्री की यह नई पेशकश भी उसी तरह की बहस और भावना को जगाने में कितनी सफल होती है।

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