वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आजादी के सात दशक बाद आज समय का चक्र एक बार फिर घूमा है और देश अब गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व की घोषणा कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्र स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा, गुलामी के दौर में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया उन्होंने सबसे पहले हमारे सांस्कृतिक प्रतीकों को ही निशाना बनाया। आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण तक का विरोध किया गया था और इस तरह की सोच दशकों तक देश पर हावी रही। इसका नतीजा यह हुआ कि देश हीनभावना के गर्त में चला गया। अपनी विरासत पर गर्व करना भूल गया।
प्रधानमंत्री ने कहा, आजादी के सात दशक बाद आज समय का चक्र एक बार फिर घूमा है। देश अब गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व की घोषणा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जो सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि और भौतिक विकास का उदाहरण रहा है। सरकार, समाज और संतगण, सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आज हमारे तीर्थ स्थलों का विकास भी हो रहा है और भारत आधुनिक ढांचे की दृष्टि से नए रिकॉर्ड भी बना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अब बनारस का मतलब है- विकास। अब बनारस का मतलब है -आस्था के साथ आधुनिक सुविधाएं। अब बनारस का मतलब है- स्वच्छता और बदलाव। बनारस आज विकास के अद्वितीय पथ पर अग्रसर है।
उद्घाटन के बाद, प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्र स्वर्वेद महामंदिर का दौरा किया। यहां 20,000 से अधिक लोग एक साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं। सात मंजिला इस भव्य महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के श्लोक उकेरे गए हैं। स्वर्वेद महामंदिर प्राचीन दर्शन, आध्यात्मिकता और आधुनिक वास्तुकला का एक मिलाजुला रूप है।