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शारदीय नवरात्र पर बन रहा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का संयोग

लखनऊ। मां दुर्गा की आराधना व पूजन का पावन पर्व शारदीय नवरात्र का प्रारंभ 22 सितंबर से होने जा रहा है। इस बार नवरात्र में माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान सप्ताह के दिन के अनुसार होता है। इस बार नवरात्र का प्रारंभ 22 सितंबर यानि सोमवार से हो रहा है। यदि नवरात्र की प्रतिपदा सोमवार या रविवार को हो तो मां दुर्गा गज (हाथी) पर आरूढ़ होती हैं। हाथी पर सवार होकर आना शुभ लक्षण का प्रतीक है। पूरे साल सुख-समृद्धि व सौभाग्य का संचार होगा। इस बार शारदीय नवरात्र बहुत ही फलदायी रहेंगे, क्योंकि इन नवरात्र पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है, इसके बाद हस्त नक्षत्र शुरू हो जाएगा। इसके अलावा मंगल इस दौरान तुला राशि में, सूर्य कन्या राशि में, सिंह राशि में केतु, शनि मीन में और राहु कुंभ राशि में हैं। इस प्रकार ग्रहों के इस योग के अलावा माता की सवारी भी बहुत उत्तम है।
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरूआत 22 सितंबर को देर रात 1.23 मिनट पर हो रही है। जो 23 सितंबर को रात 2.55 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 22 सितंबर से नवरात्र शुरू होगा व कलश स्थापना की जाएगी। कलश स्थापना सुबह 6.09 से 8.06 बजे तक किया जा सकता है। अगर दोपहर में घट स्थापना कर रहे हैं तो अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11.49 से 12.38 बजे तक व्याप्त रहेगा। यह समय स्थापना के लिए उपयुक्त माना जाता है। नवरात्र तिथि में चतुर्थी तिथि बढ़ रही है। श्राद्ध पक्ष में एक तिथि का क्षय और नवरात्र में एक तिथि की वृद्धि हो रही है। इसलिए नवरात्र पूरे दस दिनों का होगा। दो अक्तूबर को व्रत पारण व विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्र इस वर्ष 22 सितंबर 2025, सोमवार से शुरू होगी और 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को विजयदशमी के दिन समाप्त होगी। आमतौर पर नवरात्रि 9 दिनों की होती है, लेकिन इस बार पंचांग के अनुसार त्रितीया तिथि के बढ़ने के कारण नवरात्रि 10 दिन की है।

नवरात्र की सप्तमी तिथि
शारदीय नवरात्रि की सप्तमी 29 सितंबर, सोमवार को है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि शत्रुओं व बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।

नवरात्र की अष्टमी तिथि
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 30 सितंबर, मंगलवार को है। इसे दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी भी कहा जाता है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है।

नवरात्र की नवमी तिथि
शारदीय नवरात्रि की नवमी को महानवमी कहा जाता है। इस बार महानवमी 1 अक्टूबर, बुधवार को है। नवमी तिथि पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है।

नवरात्र के नियम
नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की सफाई करें और पूजा स्थान को पवित्र बनाएं। घटस्थापना (कलश स्थापना) के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। नौ दिनों तक सात्विक आहार लें। लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि से परहेज करें। प्रतिदिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करें। अगर व्रत नहीं रख सकते, तो भी पूजा के समय केवल फलाहार लें। कन्या पूजन और ब्राह्मण भोजन अष्टमी या नवमी को करना शुभ माना जाता है।

इस बार शारदीय नवरात्र 10 दिनों के
शारदीय नवरात्र पर मां दुर्गा की विशेष उपासना होती है। नौ दिनों तक चलने वाले मां दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। इसके अलावा इस बार 10 दिन के नवरात्र होंगे। दरअसल इस साल चतुर्थी तिथि बढ़ रही है। इस साल नवरात्र 22 सितम्बर से प्रारंभ होगा और 1 अक्टूबर को समापन होगा। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 22 सितंबर को रात 01 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 23 सितंबर को रात 02 बजकर 55 मिनट पर होगा। घटस्थापना शुभ मुहुर्त पंचांग के अनुसार घटस्थापना का शुभ मुहुर्त सुबह 06.09 से सुबह08.06 बजे तक, अभिजित मुुहुर्त सुबह 11 बजकर49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

नवरात्र के 9 दिनों का महत्व

प्रथम दिन (शैलपुत्री): मां के पहले रूप की पूजा करने से शक्ति और स्थिरता प्राप्त होती है।
द्वितीय दिन (ब्रह्मचारिणी): मां के दूसरे रूप की पूजा करने से तप, संयम और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
तृतीय दिन (चंद्रघंटा): मां के तीसरे रूप की पूजा करने से भय निवारण और शांति मिलती है।
चतुर्थ दिन (कूष्मांडा): मां के चौथे रूप की पूजा करने से स्वास्थ्य और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
पंचम दिन (स्कंदमाता): मां के पांचवें रूप की पूजा करने से संतान सुख और समृद्धि मिलती है।
षष्ठम दिन (कात्यायनी): मां के छठे रूप की पूजा करने से विवाह और संबंधों में सफलता मिलती है।
सप्तम दिन (कालरात्रि): मां के सातवें रूप की पूजा करने से संकटों से मुक्ति और सुरक्षा मिलती है।
अष्टम दिन (महागौरी): मां के आठवें रूप की पूजा करने से पवित्रता और नए अवसर मिलते हैं।
नवम दिन (सिद्धिदात्री): मां के नौवें रूप की पूजा करने से सिद्धियां, बुद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

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